संक्षिप्त परिचय: गणतंत्र दिवस पर लिखी गयी यह कविता भारत के उन वीर जवानों को सलाम करती है जिन्होंने देश के लिए अपने जान देने से पहले एक बार नहीं सोचा ।
देश के वीर जवानों तुम्हें हमारा सलाम,
देश की रक्षा में तैनात वीरों को
हमारा प्रणाम ।
वीरों की जननी ये मातृभूमि भारत की,
हजारों बलिदानों की वीरों की हैं
भारत भूमि,
यहाँ कही आये गये लुटेरे,
पर टिक नहीं पाये कोई,
मातृभूमि के दीवानों ने
ऐसी ही आजादी की अलख जगाई,
प्राणों को बलि दे कर भी दुश्मनों को नानी याद कराई ।
ऐसे वीर जवानों को हमारा सलाम ।
आज भी दुश्मन सीमा पर करते हैं
सीनाजोरी,
देश के जवान उनको
धूल चटाते बारी बारी,
सीमा पर प्रहरी बन कर जो डटे हैं
जवान हमारे,
उन जवानों के जज़्बे को हमारा
कोटि कोटि प्रणाम ।
हे जवान तुझे हमारा सलाम ।
तिरंगे की शान रखने के लिए
अपने प्राणों की बलि देने वाले
मेरे देश की शान में चार चाँद
लगाने के लिए दिन-रात डटे हैं
ऐसे वीर जवानों को हमारा सलाम
कोटि कोटि प्रणाम करते हैं ।
हिमालय की चोटी पर रह कर या
रेगिस्तान🏜 की लू के थपेड़ों के बीच रह कर भी जो अपने देश की शान को कम नहीं होने देते
ऐसे वीर सपूतों को हमारा सलाम
कोटि कोटि प्रणाम देश के वीरों ।
स्वरचित कविता
उषा रानी पुंगलिया जोधपुर राजस्थान
गणतंत्र दिवस की शुभकामनाओं के साथ🌹🌹🌹
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