उषा रानी | Usha Rani

नाम: उषा रानी
निवास स्थान: पुंगलिया जोधपुर राजस्थान

पढ़िए उनकी कहानियाँ:

  • धुधंली सांझ  : जीवन में सुख भी आता है और दुःख भी। कभी कभी एक ही सिक्के के दो पहलू भी हो जाते हैं ये सुख और दुःख। कुछ ऐसी ही बात बताती है उषा रानी जी द्वारा लिखी गयी यह हिंदी कथा ‘धुंधली साँझ’।
  • वह पागल औरत : हमारा समाज, जहाँ आगे बढ़ने की कोशिश भी करता है वहीं कभी-कभी कुछ कुरीतियों की वजह से पीछे भी रह जाता है। एक ऐसी ही प्रथा जो आज भी परेशान करती रहती है वह है दहेज प्रथा। इसी पर एक छोटी सी कथा है उषा रानी जी की यह रचना ‘वह पागल औरत’ ।
  • साबुन की दो बट्टी:  क्या बस साबुन की दो बट्टियाँ किसी का जीवन बदल सकती हैं? कुछ ऐसे ही सवाल का जवाब देती है उषा रानी जी की यह छोटी सी कहानी जो ग़रीबी पर है – साबुन की दो बट्टी।
  • छप्पन भोग : लॉक्डाउन के हालात, बिगड़ता व्यापार और आर्थिक तंगी – कैसा होगा एक आम आदमी का जीवन ऐसे में? कुछ ऐसे ही हालात बयाँ करती है उषा रानी जी की यह छोटी सी कहानी “छप्पन भोग”।
  • दादी माँ : उषा रानी द्वारा रचित यह एक छोटी सी कहानी है जो दादी माँ के गुणों और उनकी दिनचर्या स्पष्ट करती है।
  • पिघलता हुआ सन्नाटा: इस जगत में हम कई मनुष्य हैं, सब के जीवन अलग हैं, और जीवन भी ऐसा कि हर मोड़ पर कुछ ना कुछ नई सीख मिलती रहती है। यह कहानी ऐसे ही रोज़मर्रा की ज़िंदगी के माध्यम से जीवन के मूल्य को समझाती हुई।
  • व्यथा अंतर्मन की: कमल नारायण एक अस्पताल में भर्ती हैं। कुछ ऐसी स्थिति है कि घबराहट होना लाज़मी है। पर इसी समय में उनका मन भूले बिसरे गलियारों में भी घूम आता है। कौनसे हैं वो गलियारे? जानने के लिए पढ़िए यह कहानी ‘व्यथा अंतर्मन की’।

पढ़िए उनकी कविताएँ:

  • मखमली रंगों का त्यौहार आया | होली पर कविता: रंगों का त्यौहार है होली, और इन्हीं रंगों के इर्द गिर्द बहुत कुछ मिल जाता है हमें होली खेलते खेलते, इन्हीं सब पर बात करती उषा रानी जी की यह होली पर कविता।
  • नव वर्ष का स्वागत : नव वर्ष के स्वागत के लिए आप क्या करेंगे? उषा रानी जी की नववर्ष २०२२ के उपलक्ष्य में यह कविता आपको कुछ प्रेरणा ज़रूर देगी।
  • नए साल का तोहफा : २०२१ समाप्त हो रहा है और नया साल २०२२ शुरू हो रहा है। इसी आते नए साल में क्या है सबसे अच्छा तोहफ़ा अपनों के लिए ? उषा रानी जी की यह नए साल पर कविता आपको एक अलग ही ढंग में बतलाएगी।
  • सुखमय सारा संसार हो: नवरात्रि के अवसर पर बहुत ही पावन, बिलकुल नि:स्वार्थ – यह कविता नहीं, एक प्रार्थना है। चलिए आप और मैं, हम सब मिल कर आज माँ से यही प्रार्थना करें।
  • मेरी मजबूर सी यादें: जितना जीवन निकलता जाता है, उतनी ही बनती जाती हैं यादें। उन्हीं यादों के कारवां से आज फिर गुज़रने के लिए पढ़िए उषा रानी जी की यह भावनाओं से भरी कविता ‘मेरी मजबूर सी यादें’।
  • आस्था के पित: पितरों के लिए आदर-सम्मान और उनके लिए हमारे मन की श्रद्धा और आस्था पर है उषा रानी जी की यह कविता – ‘आस्था के पितर’।
  • हिन्दी भाषाओं का संगम: हिन्दी दिवस पर उषा रानी जी की यह विशेष कविता हिन्दी भाषा का गुणगान करती है। 
  • तुम मत बदलना सखि: क्या आज आप को कुछ ठीक नहीं लग रहा है? क्या आप कुछ उदास हैं? आप भी पढ़िए और अपनी सखी सहेली को भी पढ़ाइए उषा रानी जी की यह कविता जो आपको ज़रूर अच्छा महसूस कराएगी। 
  • एक मुस्कान ही: क्या है एक हँसी, एक मुस्कान का महत्व? पढ़िए यह सुंदर कविता जिसे लिखा है उषा रानी जी ने, और आप भी जानिए।
  • तू गुमान न कर: ज़िंदगी किस की कैसी कटेगी किसी को नहीं पता। पर कुछ बातें हैं जो नहीं बदलती, कुछ ऐसी ही बातें समझाती हुई है उषा रानी जी की यह कविता जो अहंकार की भी बात करती है। 
  • अपनेपन का अहसास: अपनेपन का अहसास जताती – एक घर की समय के साथ बदलती कहानी बयाँ करती है उषा रानी जी की यह कविता। 
  • गणपति बप्पा मोरिया: गणेश चतुर्थी के अवसर पर गणपति जी की वंदना करती है यह सुंदर कविता।
  • शिक्षक सूर्य सा होता: जीवन में एक शिक्षक का क्या महत्व होता है? एक शिक्षक सूर्य सा क्यों होता है? जानने के लिए पढ़िए उषा रानी जी की यह शिक्षा दिवस पर विशेष कविता।
  • चलो कान्हा संग खेलें होली : होली का त्यौहार हो और कान्हा की बात ना हो ऐसा तो हो नहीं सकता। कान्हा की ही नटखटता और होली की मस्ती का अनोखा संगम है उषा रानी जी की यह कविता।
  • जीवन साथी पुस्तकें : पुस्तक – एक ऐसी वस्तु है जिस की तुलना एक जीवन साथी से भी हो जाती है। सिर्फ़ जीवनसाथी ही नहीं इसे कई और नाम भी दिए गए हैं। पुस्तकों का ही महत्व समझाती है, उषा रानी जी की यह कविता ‘ जीवन साथ पुस्तकें ‘ है।
  • हिसाब जिंदगी का : अगर अपने जीवन के संघर्ष के हिसाब को कभी आप एक कविता में पिरोएँगे तो वह कविता भी उषा रानी जी की यह कविता जैसी ही होगी।
  • प्रकृति को पूजो  : कवयित्री उषा रानी की यह कविता प्रकृति पर है। इस कविता में कवयित्री प्रकृति के गुणगान करती हैं तथा उस का सम्मान करने की सीख देती हैं।
  • भंवर तनावों के : आज इंसान ने तरक़्क़ी तो बहुत कर ली है पर क्या वो जिस सुकून की तलाश में था वो उसे मिल पाया है? जीवन पथ के कुछ ऐसे ही संघर्ष पर प्रकाश डालती है उषा रानी जी की यह कविता ।
  • यमराज बनी सड़कें  : सड़क सम्पूर्ण मानवता के लिए बहुत महत्वपूर्ण रही है। कई सभ्यताएँ इसी के इर्द गिर्द बसी हैं। पर आज यह सड़क ही यमराज बन गयी है। इसी विषय पर है उषा रानी जी की यह सड़क सुरक्षा पर कविता ।
  • फागुन का महीना: फागुन का महीना आता है तो साथ में लाता है रंगो का त्योहार होली – इसी त्योहार का जश्न मना रही है उषा रानी जी की यह कविता।
  • वीर शहीदों की याद: शहीद दिवस पर विशेष श्रध्दांजलि अर्पित करते हुए यह कविता वीर शहीदों को नमन है।
  • हरे रंग का तोताराम कवयित्री उषा रानी की यह कविता एक प्यारी सी बाल कविता है एक तोते पर, जो एक प्यारी सी सीख भी देती है।
  • औरत तुम: औरत होना आसान नहीं है। प्रकृति ने भी तो उसे कितनी ज़िम्मेदारियाँ दी हैं निभाने को। ऐसी ही औरत की खूबियों पर प्रकाश डालती है यह कविता ।
  • सारे मौसम खो गए हैं: जीवन में खुश रहने के लिए क्या ज़रूरी है? क्या वह इंसान जिसके पास में सब कुछ है, खुश है? ऐसे ही कुछ सवालों के जवाब देती हुई कवयित्री उषा रानी की यह जीवन पर कविता ।
  • बसंती ऋतु मनभावन आई  : पतझड़ के बाद ही तो बसंत आता है। जब लगता है सब ख़त्म तभी नयी आशा की किरण लाता है। यही तो इस त्यौहार का महत्व है। इस मन को उल्लासित करने वाले बसंत ऋतु के पर्व पर मन को उल्लासित करने वाली यह कविता ।
  • बसंत के रंग हजार : पतझड़ के बाद ही तो बसंत आता है। जब लगता है सब ख़त्म तभी नयी आशा की किरण लाता है। यही तो इस त्यौहार का महत्व है। इस मन को उल्लासित करने वाले बसंत ऋतु के पर्व पर मन को उल्लासित करने वाली यह कविता ।
  • जवान तुझे सलाम : गणतंत्र दिवस पर लिखी गयी यह कविता भारत के उन वीर जवानों को सलाम करती है जिन्होंने देश के लिए अपने जान देने से पहले एक बार नहीं सोचा ।
  • प्रकृति🌿🍃 हमारी माता है: है तो मनुष्य भी प्रकृति का अंश ही, पर आज कुछ ऐसी स्थिति हो गयी है कि वही मनुष्य प्रकृति का दुश्मन लगता है। ऐसे में ज़रूरी है कि सब समझें प्रकृति का महत्व। यही पहलू उठाती है कवयित्रि उषा रानी की प्रकृति पर यह कविता ।
  • चाय हमारा मान है: भारत में लगभग हर घर में चाय एक अनन्य हिस्सा होती है। पर ऐसा क्यूँ होता है? जानने के लिए पढ़िए चाय पर यह कविता ।
  • दादी तुम चुप क्यों हो?: कवयित्री उषा रानी की यह कविता बूढ़ी दादी माँ के लिए कई सवाल लिए है। पढ़ के ज़रूर बताइएगा कि क्या आपके दिल में भी ऐसे ही सवाल आते हैं ?
  • आइसोलेशन – एकांत में अकेला रहना: आज कोरोना की वजह से इंसान का एकांत में रहना मजबूरी हो गया है। इसी पहलू को उजागर करती है उषा रानी की यह कविता ‘एकांत में अकेला रहना’।
  • पुरुष का मौन: जहाँ आज सब स्त्री पर हो रहे अत्याचारों को ध्यान में रखते हुए उन पर कविताएँ लिख रहे हैं, जो कि समय की माँग भी है वहीं एक ऐसी कविता की भी ज़रूरत है जो पुरुष के समाज में योगदान पर भी प्रकाश डाले। ऐसी ही एक कविता है ‘पुरुष का मौन’ जिसे लिखा है उषा रानी ने।

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