प्यारे जीजाजी | हिंदी कविता

उम्मेद सिंह सोलंकी "आदित्य" की कविता | A poem in Hindi

प्यारे जीजाजी| उम्मेद सिंह सोलंकी आदित्य की हिंदी कविता

संक्षिप्त परिचय: जैसा की कविता के नाम से प्रत्यक्ष है, उम्मेद सिंह सोलंकी “आदित्य” जी की यह कविता उनके प्यारे जीजाजी के लिए है।

एक रिश्ते से फूल खिले हैं हर दम तारे
लाखों दिल मिलकर मिले समधि हमारे।
जिन में बसे हो नयन और मोती जग सारे
ऐसे मिले जीजी से प्यारे जीजाजी हमारे।

दिखे तार-तलैया मे वो अपने संग हारे
ऐसे चमत्कार दिखाये सगे दोस्त हमारे।
ऐसी ही जोड़ियाँ बनाये प्रभु सीता-राम
ऐसे मिले जीजी से प्यारे जीजाजी हमारे।

दिल की रूह से कभी बहुत पास सपने होते हैं
कभी ख्वाबों से दूर कभी साथ अपने होते हैं।
ना कोई बंधन ना कोई तोड़ है इसका
हैं ये बंधनो का संगम रिश्ता एक जोड़ का।

जैसे भी मिलाया कुदरत ने दोनों इंसान को
होंगे कृष्ण भी राधा एक-दुसरे की जान को।
ना हो कोई बादल ना हो कोई आसमान
ऐसे मिले सजन व प्रीत तड़पे जहान को।

जिनमे बसे हो नयन और मोती सारे
ऐसे मिले जीजी से प्यारे जीजाजी हमारे।।

– उम्मेद सिंह सोलंकी “आदित्य”


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इस हिंदी कविता के लेखक उम्मेद सिंह सोलंकी “आदित्य” के बारे में जानने के लिए पढ़ें यहाँ ।


पढ़िए उम्मेद सिंह सोलंकी “आदित्य” की एक और कविताएँ:

  • कोहिनूर: बचपन हमारे सम्पूर्ण जीवन का आधार बनता है। बचपन की कई सारी बातें हम अपने साथ हमेशा रखते हैं। और ऐसे ही होते हैं बचपन के दोस्त। बस कुछ ऐसा ही कह रहे हैं उम्मेद सिंह सोलंकी “आदित्य” अपनी हिंदी कविता “कोहिनूर” में ।
  • खामोश घड़ी: घड़ी – कई प्रकार में आती हैं – छोटी भी और बड़ी भी। पर घड़ी जो बताती है वो सब में बड़ा है। ऐसे ही घड़ी की अहमियत समझाती हुई ‘उम्मेद सिंह सोलंकी “आदित्य”‘ की यह कविता ‘खामोश घड़ी’।

पढ़िए रिश्ते और परिवार पर ऐसी ही और कविताएँ:

  • माँ का रोपित वसंत: कोरोना काल में जहाँ कई लोग फिर से किसी ना किसी रूप में प्रकृति से जुड़े हैं, वहीं ये कविता एक ऐसी लड़की के मन की आत्म संतुष्टि व्यक्त करती है जिसने वर्षों पूर्व अपनी माता द्वारा रोपित एक वृक्ष में ही अपने परिवार का एक हिस्सा देखना शुरु कर दिया था और इसलिए अब उसे अकेला महसूस नहीं होता । पढ़िए बचपन याद करती यह सुंदर कविता।
  • हमारे घर का आँगन: इस कविता में कवि सौरभ रत्नावत अपने घर की ख़ूबसूरती को बयाँ कर रहे हैं। साथ ही उनके परिवार और प्रकृति के बीच कैसे तालमेल बैठा हुआ है यह भी समझा रहे हैं।
  • ये कैसे हैं रिश्ते:  ‘ये कैसे हैं रिश्ते’, यह एक रिश्तों पर कविता है जिसे लिखा है कवि ‘जुबैर खाँन’ ने । अपनी इस कविता में कवि रिश्तों की विचित्रता का वर्णन कर रहे हैं।

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PC: Nikunj Gupta

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