संक्षिप्त परिचय: कवि उपकार सारांश की यह कविता एक छोटी सी कविता है ‘इंतज़ार’ पर।
तुम्हारे इंतज़ार में
मेरी आँखें
उजड़े मानव की
तरह भटक रही हैं ।
थामना चाहती हैं
मिलन का प्रथम दामन
जैसे दासता से आजादी का ।
कैसी लगी आपको यह छोटी सी कविता ? कॉमेंट कर के ज़रूर बताएँ और कवि को भी प्रोत्साहित करें।
इस कविता के लेखक उपकार सारांश के बारे में जानने के लिए पढ़ें यहाँ ।
पढ़िए कवि उपकार सारांश की और कविताएँ यहाँ:
- अजीब सी रात: यह हिन्दी कविता एक महत्वपूर्ण विषय पर प्रकाश डालती है – मानसिक स्वास्थ्य पर। हम सब मिल कर कैसे किसी की ऐसे में सहायता कर सकते हैं आइए जानिए इस कविता में।
- घटस्थापना का पावन दिन: कवि उपकार सारांश की यह कविता माँ दुर्गा पर है। यह कविता माता दुर्गा और उनके अनेक रूपों का गुणगान करती है।
- यूँही लोग इक रोज: उपकार सारांश जी की हिंदी में लिखी यह कविता एक कटु सत्य उजागर करती है। ऐसा सत्य जो हमें पता भी है और जिस के बारे में हम सोचना भी नहीं चाहते ।
पढ़िए और हिंदी की कविताएँ और बताएँ आपको कैसी लगी:
- अधूरी कहानी: कवियत्री आरती वत्स इस कविता में उस साथ की बात कर रही हैं जो कुछ लम्हों का ही था। वे उस राह की बात कर रही हैं जो आगे जा कर दो रास्तों में बँट जानी थी।
- चलो आज कहीं घूम आते हैं: जब बहुत दिनों तक हम अपनों से मिल नहीं पाते। उनके साथ बैठ कर बातें नहीं कर पाते। उनके साथ कहीं घूमने नहीं जा पाते तो मन में कुछ भाव उठते हैं। वही भाव व्यक्त कर रही हैं शिखा सिंह ‘प्रज्ञा’ जी अपनी इस हिंदी कविता “चलो आज कहीं घूम आते हैं” में ।
- हृदय वेदना: अनिल पटेल जी की यह हिंदी कविता विरह वेदना पर है। वे इस कविता में नायक और नायिका के बीच में विरह की वेदना की व्याख्या कर रहे हैं।
- तुम न आए: ‘तुम न आए’ एक हिंदी कविता है जिसे कवि ज़ुबैर खाँन ने लिखा है। यह एक प्रेम कविता है जिसमें कवि अपने प्रेम का इंतज़ार कर रहे हैं।
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PC: Landis Brown
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