संक्षिप्त परिचय: यह हिन्दी कविता एक महत्वपूर्ण विषय पर प्रकाश डालती है – मानसिक स्वास्थ्य पर। हम सब मिल कर कैसे किसी की ऐसे में सहायता कर सकते हैं आइए जानते हैं इस कविता में।
क्या कभी रोता आदमी
देखा है आपने रात के
तीसरे पहर में
आँखों से बहते आँसू
दिल से निकलती आस
बहते सपने ।
अगर तुमने देखा तो
क्या तुमने उन्हें
चुप करवाने की कोशिश की ।
क्या उनके आँसू पोछे
क्या तुमने उनकी बात सुनी
क्या पूछा तुमने कि तुम्हारी
चिंता मेरी चिंता है ।
क्या तुमको उनकी आँखों में
सपने , प्रेम नहीं दिखा
क्या तुमने उनकी समस्या
का हल करना चाहा
अगर नहीं तो आत्महत्या
उनका अंतिम पन्ना था
और पन्ने के आखिर मे लिखा था
जहाँ से मैं जीता वहाँ से मैं हारा ।
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इस हिन्दी कविता के लेखक उपकार सारांश के बारे में जानने के लिए पढ़ें यहाँ ।
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PC: Guillermo Suarez
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