हृदय वेदना | वेदना पर कविता

अनिल पटेल की कविता | A Hindi Poem by Anil Patel

हृदय वेदना | वेदना पर कविता | अनिल पटेल की कविता | A Hindi Poem by Anil Patel

संक्षिप्त परिचय: अनिल पटेल जी की यह हिंदी कविता विरह वेदना पर है। वे इस कविता में नायक और नायिका के बीच में विरह की वेदना की व्याख्या कर रहे हैं।

हर स्थान दृष्टि में तुम हो
मानो पृथ्वी के हर कण मे तुम हो
यकीनन मेरे जीवन के हर क्षण में तुम हो
बस एक मेरा देवयोग
जिसमें होकर भी तुम नहीं हो ।।

बाग में खिलते पुष्प मे तुम हो
पुष्प पर गिरी पानी की हर बूँद मे तुम हो
यकीनन मेरे देह का अर्ध्द भाग तुम हो
बस एक मेरा देवयोग
जिसमें होकर भी तुम नहीं हो ।।

सुर्य की हर अन्शु मे तुम हो
नये दिन कि हर अहर्मुख मे तुम हो
यकीनन मेरी हर त्रियामा के स्वप्न मे तुम हो
बस एक मेरा देवयोग
जिसमें होकर भी तुम नहीं हो ।।

संगीत के हर स्वर में तुम हो
मेरी कविता के हर शब्द मे तुम हो
यकीनन मेरे लिखने का कारण तुम हो
बस एक मेरा देवयोग
जिसमें होकर भी तुम नहीं हो।।


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इस हिंदी कविता के लेखक ‘अनिल पटेल’ के बारे में जानने के लिए पढ़ें यहाँ ।

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PC: Larisa Birta

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