नाम – शिखा सिंह
साहित्यिक नाम – प्रज्ञा
पता – लखनऊ, उत्तरप्रदेश
इनके बारे में: बचपन से ही पढ़ाई के साथ-साथ लेखन, कला, नृत्य में इनकी रुचि रही है, साहित्य में लोगों को हृदय को छूने वाली काव्य लेखन के क्षेत्र में समाजिक रूप से कार्यरत्त हैं।
प्रकाशित रचनाएँ –
- नारी-एक अनकही कहानी
- दिल-ए-जार
- मुस्कुराएं हम इंसान है
- अनमोल प्रेम
- राष्ट्रपिता
- इकरार कर लिया
- तू साथ दे
प्रकाशित पुस्तकें:
1- उर्विल काव्य संग्रह
2- Mon Amour
शिक्षा– इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग ब्रांच से डिप्लोमा ( govt. Girl’s polytechnic Lucknow), गणित विषय मे स्नातक ( Lucknow University)
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पढ़िए उनकी कविताएँ storiesdilse.in पर :
- तुम कहो आज मैं सुनूँगा : यह कविता दाम्पत्य प्रेम को बनाए रखने का उपाय बड़े ही सरल ढंग से समझाती है। कैसे? जानने के लिए पढ़िए शिखा सिंह ‘प्रज्ञा’ की यह प्रेम पूर्ण कविता ।
- हाँ मैं बदल गई हूँ: आज के समाज में जहां एक तरफ़ स्त्री को हर क्षेत्र में आगे बढ़ने की प्रेरणा दी जाती है वहीं समाज का एक हिस्सा उसे वांछित सम्मान दे पाने में भी असक्षम है। यह कविता एक स्त्री के हृदय की आवाज़ है उसी समाज के लिए।
- ऑनलाइन क्लास: लॉक्डाउन के समय में एक परेशानी बच्चों की भी है – वह है ऑनलाइन क्लास। इस क्लास को करने में क्या परेशानियाँ आती हैं जानिए इस हिंदी हास्य कविता में।
- चलो आज कहीं घूम आते हैं: जब बहुत दिनों तक हम अपनों से मिल नहीं पाते। उनके साथ बैठ कर बातें नहीं कर पाते। उनके साथ कहीं घूमने नहीं जा पाते तो मन में कुछ भाव उठते हैं। वही भाव व्यक्त कर रही हैं शिखा सिंह ‘प्रज्ञा’ जी अपनी इस हिंदी कविता “चलो आज कहीं घूम आते हैं” में ।
पढ़िए उनकी कहानी:
- इंजीनियर बिटिया: शिखा सिंह ‘प्रज्ञा’ की यह एक प्रेरणादायक लघु कहानी है। यह कहानी शिक्षा के महत्व को समझाती हुई नारी सशक्तिकरण की प्रेरणा देती है।
पढ़िए उनकी ग़ज़ल:
- ग़ज़ल: शिखा सिंह ‘प्रज्ञा’ जी की यह सुंदर ग़ज़ल आपको इस जीवन के कुछ गहरे राज़ चुपके से बता जाएगी।
- तकलीफ | हिन्दी गजल: ज़िंदगी क्या ही हो अगर इसमें कुछ अजीब कश्मकश ना हो? ऐसी ही एक कश्मकश की बात करती है शिखा सिंह ‘प्रज्ञा’ की यह हिन्दी गजल ‘तकलीफ़’।
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