संक्षिप्त परिचय: यह कविता जीवन में मन की विभिन्न अटखेलियों का सुंदरता से वर्णन करती है। यह हिंदी कविता लिखी है डॉ भावना शर्मा ने। ( This Hindi Poem is written by Dr. Bhawna Sharma )
ये मन बड़ा चंचल है रे,
कभी हँसाता तो कभी रुलाता है रे,
जीवन क लहरों में गोते खाता है रे,
कभी खुशी की लहरों में उछलता है रे ।
कभी गम की लहरों में डूब जाता है रे ।।
कभी मोह माया में बंध जाता है रे,
कभी अपनों को पराया कर देता है रे,
कभी परायों को अपना कर देता है रे,
कभी सबको अपना कर देता है रे ।
ये मन बड़ा चंचल है रे ।।
कभी खुद से खुद को मिलवाता है रे,
कभी खुद को खुद से लड़वाता है रे,
कभी खुद ही मालिक बन जाता है रे,
कभी खुद ही खाक में मिल जाता है रे ।
ये मन बड़ा चंचल है रे ।।
मन तो मन है मन की मत सुनियो रे,
मन की बात तो मन ही जाने रे,
मन को मन से ऐसा कर दियो रे,
मन-मन को खुशियाँ बँटवाये रे ।
ये मन बड़ा चंचल है रे ।।
डॉ. भावना शर्मा के बारे में और पढ़ें यहाँ: डॉ. भावना शर्मा
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