संक्षिप्त परिचय: दुनिया में मनुष्य ने चाहें बहुत कुछ हासिल कर लिया हो और आज उसे कई चीजों की ज़रूरत ना महसूस होती हो। पर प्रेम एक ऐसी भावना है जिसे हर मनुष्य महसूस करना चाहता है। ऐसे ही प्रेम पर आरती वत्स की यह अद्भुत कविता ।
प्रेम एक अद्भुत भावना है
जिसकी एक परिभाषा नहीं,
जैसे राधा के लिए
हृदयमयी इश्क़
वैसे ही मीरा के लिए
इबादत है प्रेम ।।
प्रेम तो आसमान की भाँति है
जिसे कोई भी चादर बनाकर
ओढ़ सकता है,
लेकिन इसमें अग्नि की भाँति
परीक्षाएँ भी होती है ।।
प्रेम सूर्य जैसा होता है,
अगर रिश्ते में
सम्मान और विश्वास का भाव है तो
दिन के उजाले की तरह चमकता है
वरना अमावस्या की रात की तरह
प्रेम रूपी दीपक को बुझा कर
जीवन में अंधकार कर देता है ।।
प्रेम तो एक कल्पना है
जिसमें न जाने कितने स्वप्न होते हैं ।
बहुत सारी उम्मीदें जुड़ी होती है,
एक अलग और खास अनुभव होता है ।
दो दिलों का मिलन होता है ।
नए जीवन का आरंभ होता है ।
विश्वास और अपनेपन का,
एक महत्वपूर्ण अध्याय शुरू होता है ।।
तुम बताना मुझे कभी
अगर तुम्हें मिले कभी,
रूह की इबादत करने वाला प्रेम ।
तुम बताना अगर तुम प्रेमरूपी सागर में
कभी खुद को डूबा हुआ महसूस करो ।
तुम बताना मुझे
अगर कभी तुम हवा की ख़ुशनुमा
सरसराहट को सुन सको ।
तुम बताना मुझे
अगर तुम्हें खुले आकाश में
पंख फैलाकर सुकून वाली ज़िंदगी
और अलौकिक प्रेमरूपी दुनिया का
आभास हो ।।
और हाँ,प्रेम को पा लेना ही
प्रेम नहीं होता ।
उसे उसकी ख़ुशी के लिए,
उसके सपनों के लिए,
उसका त्याग करना भी एक प्रेम है ।
प्रेम तो ज़िंदगी और मौत से परे
एक सुलझा हुआ
नाज़ुक मसला है ।।
सच कहूँ
तो तुम्हें उस दिन
सच्चे प्रेम की प्राप्ति होगी,
जिस दिन तुम खुद के साथ
अपने साथी के सम्मान,साथ,ख़ुशी,क़ामयाबी,
विश्वास और समानता की
फ़िक्र करने लग जाओगे ।
तब तुम मुझे ज़रूर बताना
अपने इस अनोख़े इश्क़ और पारदर्शी रूपी
प्रेम की कहानी ।।
-आरती वत्स
‘मिस हरियाणा’
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