संक्षिप्त परिचय : हिन्दी दिवस पर उषा रानी जी की यह विशेष कविता हिन्दी भाषा का गुणगान करती है।
हिन्दी भाषा अभिमान है हमारा,
देश का स्वाभिमान है हमारा।
उदारता का आंगन – गान है हिन्दी
जहाँ पलती अनेक भाषाएँ,
विभिन्नता में एकता को बांधती
हिन्दी भाषा हमारी!!
विभिन्न भाषाओं और बोलियों को
अपने में समाये सागर की गहराई
का अहसास कराती,
विराटता की पहचान है हिन्दी।
रामचरितमानस हो या सूरसागर
गीता हो या भागवत,
वेदों- पुराणों से जोड़ती है हिन्दी।
भारतीयता की पहचान कराती।
महान् कवियों ने रचाये
जाने कितने अनुपम ग्रंथ।
हिन्दी भाषा का व्याकरण
शुद्धता की कराती पहचान।
एक शब्द के अनेक प्रयोग
अलंकार काव्य का गहना,
काव्य शास्त्र कराता ज्ञान
छंदों- बंदों की लय- ताल।
फिर भी सहज- सरल है हिन्दी,
भारत माँ के भाल पर बिन्दी।
राष्ट्र भाषा के रूप में सम्मान,
राष्ट्र गौरव को सूरज- सा चमकाती,
पूरी दुनिया में उजाला फैलाती,
अपनी ममता का आँचल ओढ़ाती
भावनाओं का सागर बन लहराती
अपनी मधुर वाणी के विभिन्न मोती
एकता के हार में पिरोकर सजाती
हिमालय से कन्याकुमारी तक
विभिन्न संस्कृतियों को जोड़े रखती।
विभिन्नता में एकता का पाठ पढ़ाती,
राष्ट्र भाषा का कर्तव्य निभाती,
देश भक्ति के गीतों से बांधे रखती
देश की अखंडता को संभालती।
जन जन का अभिमान है हिन्दी,
भारत माता का गौरव गान है हिन्दी।
विश्व पटल पर स्वाभिमान है हिन्दी।
स्वरचित कविता
उषा रानी पुंगलिया जोधपुर राजस्थान
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Photo by Lucas Benjamin
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