दादी माँ | एक छोटी सी कहानी

उषा रानी की कहानी | A Hindi story by Usha Rani

दादी माँ | उषा रानी द्वारा लिखित छोटी सी कहानी

संक्षिप्त परिचय : उषा रानी द्वारा रचित यह एक छोटी सी कहानी है जो दादी माँ के गुणों और उनकी दिनचर्या स्पष्ट करती है।

दादी माँ दस सालों से अकेली रह रही हैं।  लेकिन अकेलापन कभी मन में नहीं बसाया।  सुबह से शाम तक अपने को व्यस्त रखती।  अपने सारे काम खुद ही करती। उन्हें किताबें पढ़ने में रुचि रही – खासकर धार्मिक पुस्तकें। दोपहर दो बजे से अपने घर के आंगन में दरी बिछा कर रखती। आस-पास रहने वाली औरतें वहाँ आती।  शुरुआत भजन- कीर्तन से होती।  फिर कभी रामचरितमानस का पाठ सुनाती, कभी भागवत कथा। इस तरह शाम होने तक वहाँ चहल-पहल रहती। दादी माँ सबके दुःख- सुख सुनती।  कभी सलाह-मशवरा देती।  कभी सांत्वना देकर आंसू पोंछती। 

गली में खेलने वाले बच्चों में कभी झगड़ा हो जाता तो बच्चे दादी माँ के पास आकर फरियाद करते। दादी कभी प्यार से, कभी डांट से सुलह कराती। आस पास के घरों में झगड़ा होने पर वे भी दादी माँ के पास आते।  दादी उन्हें भी समझा कर सुलह कराती।  इस तरह दादी पूरे मौहल्ले की दादी माँ हो गई थी।  सच दूसरों के सुख-दु:ख में काम आने पर जो खुशी मिलती है। वे अपने सारे दु:ख भूला देती है।

स्वरचित लघुकथा
उषा रानी पुंगलिया जोधपुर राजस्थान

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यह जीवन का मूल्य समझाती कहानी की लेखिका उषा रानी के बारे में जानने के लिए पढ़ें यहाँ 


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