संक्षिप्त परिचय: हिंदी में यह कविता गुरु पर है और इसे लिखा है अनिल पटेल जी ने। इस कविता में कवि ने अपने गुरु श्री गोपाल कृष्ण शर्मा की उनके जीवन मे महत्ता बताते हुए गुरु के श्री चरणों मे निवास करने की प्रार्थना की है ।
मुझे न वैभव न कीर्ति न यश चाहिए ,
सच्चे आनन्द से जीने के लिए ,
मुझे तो सिर्फ ,
आपके श्री चरणों मे निवास चाहिए ।।
मुझे न जगत विख्यात नाम चाहिए ,
न मुझे चिरंजीवी वरदान चाहिए ,
आपसे बने मेरी पहचान ,
ईश्वर से यही वरदान चाहिए ।।
जहाँ आपके श्री चरणों का वास नही ,
न मुझे वो राज महल चाहिए ,
मुझे तो सिर्फ ,
आपकी आशीष कुटिया में निवास चाहिए ।।
मुझे न प्रतिष्ठा न मान चाहिए ,
न मुझे स्वयं में रघुराज चाहिए ,
मुझे तो सिर्फ ,
ईश्वर के रूप में आप चाहिए ।।
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इस हिंदी कविता के लेखक ‘अनिल पटेल’ जी के बारे में जानने के लिए पढ़ें यहाँ ।
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- साहित्य की बिंदी: कवि अनिल पटेल की यह सुंदर कविता, हिंदी भाषा पर है। यह कविता हिंदी के गुणों की व्याख्या करते हुए हिंदी पढ़ने की प्रेरणा देती है।
- हृदय वेदना: अनिल पटेल जी की यह हिंदी कविता विरह वेदना पर है। वे इस कविता में नायक और नायिका के बीच में विरह की वेदना की व्याख्या कर रहे हैं।
पढ़ें गुरु और प्रार्थना पर ही और हिंदी में कविताएँ:
- गुरू की कृपा : यह कविता नहीं एक प्रार्थना है जिसे लेखिका समर्पित करती हैं अपने गुरु को।लेखिका के लिए उनके गुरु बाबा नीब करोरी महाराज हैं।
- समर्पण: कवि सौरभ कुमार अपनी कविता के ज़रिए अपने समर्पणभाव का वर्णन करते हैं।उनका समर्पणभाव इतना गहरा है कि वे अपना सब कुछ समर्पित कर देना चाहते हैं।
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PC: chrisliverani
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