संक्षिप्त परिचय: जैसा की इस कविता के नाम से प्रत्यक्ष है, कवि के. एस. मोबिन की यह सुंदर कविता ‘दीवाना’ – प्रेम और दीवानगी पर है।
एक झलक से ही तेरी, तेरा दीवाना बन गया मैं,
तेरी हसीं में पा के खुद को, खुद से बेगाना बन गया मैं,
दीवाना बन गया मैं तेरा, दीवाना बन गया मैं ॥
आँखों के मंजर सारे, दिल की सारी हसरतें,
सबमें ही अक्स तेरा, ना रही राहतें ॥
उलझी सी मौसिकी का, तराना बन गया मैं,
दीवाना बन गया मैं तेरा, दीवाना बन गया मैं ।।
दिल ने कर दिल्लगी, मर्ज दिल का लिया,
दैर – ओ -हरम से पहले, सजदा तेरा किया,
यादों में खो के तेरी, खुद को भुला लिया,
बातों में तेरी, अपनी आयत बना लिया ॥
इश्क में डूब तेरे, सूफियाना बन गया मैं,
दीवाना बन गया मैं तेरा, दीवाना बन गया मैं,
दीवाना बन गया मैं तेरा, दीवाना बन गया मैं ॥
कवि के एस मोबिन के बारे में और जानने के लिए पढ़ें यहाँ: कवि के. एस. मोबिन
उनकी एक और कविता पढ़ें यहाँ:
- वो जो तुम नहीं हो, उस पल बहुत याद आती हो: यह कविता उन पलों का विवरण है जब हम अपने आप को अकेला महसूस करते हैं। जब सुंदर से सुंदर चीज़ भी अच्छी नहीं लगती है।
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