स्नेहपूर्ण रिश्ता: रोज़मर्रा की ज़िंदगी में यूँ ही कभी-कभी कुछ छोटी-छोटी बातों से बड़े-बड़े किस्से बन जाते हैं।ऐसा ही एक किस्से पर है यह बुजुर्गों पर कहानी ‘स्नेहपूर्ण रिश्ता’। इस कहानी की लेखिका हैं अंजु ओझा ।
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इंतज़ार : अमेरिका में रहने वाली वाणी ने अचानक अपने पति और बेटे को सड़क हादसे में खो दिया। अपने देश वापस आकर उसने अपनी दोस्त प्रियंका की मदद से अपनी बिखरी ज़िंदगी को फिर से संवारने की कोशिश की। क्या उसकी ज़िंदगी में दोबारा प्यार का आगमन हो पाएगा? क्या वह किसी और को अपनी ज़िंदगी में फिर से शामिल कर पाएगी? जानने के लिए पढ़िए यह कहानी। इस कहानी की लेखिका हैं आस्था अग्रवाल सिंघल।
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अदृश्य प्रेम : आर्य चंद्र अपनी पुरानी प्रेमिका इंदुमती को याद कर रहे हैं, पर क्या हुआ था उनके बीच? क्यों कर रहे हैं वो इंदुमती को याद? जानने के लिए पढ़िए अनिल पटेल जी की कहानी ‘अदृश्य प्रेम’। इस कहानी के लेखक हैं अनिल पटेल ।
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शिमला की ख़ूबसूरत वादियाँ | मेरी शिमला यात्रा की कहानी – शिमला का सफ़र अगर आप किसी के लफ़्ज़ों में करना चाहते हैं तो यह कहानी आपके लिए है। आरती वत्स जी की यह कहानी पढ़ कर आप भी शिमला की यात्रा ज़रूर करना चाहेंगे। इस कहानी की लेखिका हैं आरती वत्स।
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धुधंली सांझ : जीवन में सुख भी आता है और दुःख भी। कभी कभी एक ही सिक्के के दो पहलू भी हो जाते हैं ये सुख और दुःख। कुछ ऐसी ही बात बताती है लेखिका उषा रानी जी द्वारा लिखी गयी यह हिंदी कथा ‘धुंधली साँझ’।
वह पागल औरत : हमारा समाज, जहाँ आगे बढ़ने की कोशिश भी करता है वहीं कभी-कभी कुछ कुरीतियों की वजह से पीछे भी रह जाता है। एक ऐसी ही प्रथा जो आज भी परेशान करती रहती है वह है दहेज प्रथा। इसी पर एक छोटी सी कथा है लेखिका उषा रानी की यह रचना ‘वह पागल औरत’ ।
साबुन की दो बट्टी: क्या बस साबुन की दो बट्टियाँ किसी का जीवन बदल सकती हैं? कुछ ऐसे ही सवाल का जवाब देती है लेखिका उषा रानी की यह छोटी सी कहानी जो ग़रीबी पर है – साबुन की दो बट्टी।
छप्पन भोग : लॉक्डाउन के हालात, बिगड़ता व्यापार और आर्थिक तंगी – कैसा होगा एक आम आदमी का जीवन ऐसे में? कुछ ऐसे ही हालात बयाँ करती है लेखिका उषा रानी की यह छोटी सी कहानी “छप्पन भोग”।
दादी माँ : लेखिका उषा रानी द्वारा रचित यह एक छोटी सी कहानी है जो दादी माँ के गुणों और उनकी दिनचर्या स्पष्ट करती है।
पिघलता हुआ सन्नाटा: इस जगत में हम कई मनुष्य हैं, सब के जीवन अलग हैं, और जीवन भी ऐसा कि हर मोड़ पर कुछ ना कुछ नई सीख मिलती रहती है। यह कहानी ऐसे ही रोज़मर्रा की ज़िंदगी के माध्यम से जीवन के मूल्य को समझाती हुई। इस कहानी की लेखिका हैं उषा रानी ।
व्यथा अंतर्मन की: कमल नारायण एक अस्पताल में भर्ती हैं। कुछ ऐसी स्थिति है कि घबराहट होना लाज़मी है। पर इसी समय में उनका मन भूले बिसरे गलियारों में भी घूम आता है। कौनसे हैं वो गलियारे? जानने के लिए पढ़िए यह कहानी ‘व्यथा अंतर्मन की’। इस कहानी की लेखिका हैं उषा रानी।
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सुभद्रा कुमारी चौहान
भग्नावशेष : यह कहानी उनके कहानी संग्रह ‘बिखरे मोती’ की है। क्यों एक प्रतिभा से भरी युवती, दस साल बाद बस एक भग्नावशेष प्रतीत हुई लेखक को? जानने के लिए पढ़िए ये कहानी जिसे लिखा है ‘सुभद्रा कुमारी चौहान‘ ने।
दो सखियाँ : दो सखियों हैं – मुन्नी और रामी – जिनमें से एक अमीर है एक गरीब। पर साथ में पढ़ने लिखने और बड़े होने के बाद उनका जीवन कैसे एक दूसरे से बंधता है उसकी कहानी है ‘दो सखियाँ’ जिसे लिखा है ‘सुभद्रा कुमारी चौहान‘ ने।
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बेगुन-कोडार | भूत की कहानी : क्या हुआ था बेगुन-कोडार रेल्वे स्टेशन पर कि उसे हमेशा के लिए बंद कर दिया गया? पढ़िए यह भूत की कहानी ‘बेगुन-कोडार’ जिसे लिखा है जुबैर खाँन ने।
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कुदरती खूबसूरती: कुदरत ने हम सब को एक जैसा बनाया, पर इंसान ने उस कुदरत पर पाबंदियाँ लगा दीं, सरहदें बना दिन। पर आज भी कुछ लोग हैं जिनकी इंसानियत इन सरहदों और पाबंदियों के ऊपर हैं। पढ़िए कुछ ऐसे ही लोगों पर यह कहानी जिसे लिखा है रानी कुशवाह ने।
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इंजीनियर बिटिया: शिखा सिंह ‘प्रज्ञा’ की यह एक प्रेरणादायक लघु कहानी है। यह कहानी शिक्षा के महत्व को समझाती हुई नारी सशक्तिकरण की प्रेरणा देती है।
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जीवन का झरना | कहानी: झरना हो या नदी, वे तो आज़ाद होते है, मदमस्त जहाँ चाहें बहते हैं वहाँ और निरंतर बहते रहते हैं। क्या ऐसा ही जीवन होता है? कुछ ऐसे सवाल उठाती है सुंदरी अहिरवार की यह कहानी – जीवन का झरना ।
जादुई कलम: सुन्दरी अहिरवार द्वारा लिखा गया यह हिंदी नाटक, समाज में व्याप्त कई सारी बुराइयों को दूर करने के लिए जागरूकता की प्रेरणा देता है।
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बुद्धु का काँटा: बुद्धु का काँटा, चन्द्रधर शर्मा गुलेरी जी द्वारा लिखी गयी एक नटखट प्रेम कहानी है जो आपको ले जाएगी पुराने समय में।साथ ही आपका दिल भी गुदगुदा देगी।
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अघोरी का मोह : क्या होता है मोह? क्या होता है प्रेम? एक अघोरी का हृदय मोह-मुक्त होता है या प्रेम-मुक्त? आपको ये सब सोचने पर मजबूर कर देगी जयशंकर प्रसाद की कहानी “अघोरी का मोह”।
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पतंगबाज़ी कॉम्पिटिशन: लेखिका भावना सविता द्वारा लिखी गयी यह कहानी एक पतंगबाज़ी कॉम्पिटिशन पर कहानी है जो आम पतंगबाज़ी कॉम्पिटिशन से कुछ अलग है। कैसे अलग है ? जानने के लिए पढ़िए यह कहानी।
साथ: लेखिका भावना सविता द्वारा लिखी गयी यह कहानी एक अनूठी प्रेम कहानी है जो आप को सच्चे प्रेम पर फिर से विश्वास दिल देगी।
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हुक्का पानी: तम्बाकू और भारत में उसके सेवन पर एक हास्य व्यंग्य। इस कहानी के लेखक हैं बेढब बनारसी।
अफवाह: क्यों लोग सच्चाई से ज़्यादा अफवाह में विश्वास कर लेते हैं? समाज में अफ़वाहों के बढ़ते चलन पर एक हास्य व्यंग्य। यह व्यंग्य आज भी उतना ही सटीक है जितना पहले हुआ करता होगा। इस कहानी के लेखक हैं बेढब बनारसी।
बद अच्छा बदनाम बुरा: आजकल ज़माना ऐसा है कि इसमें बुरा होना बुरी बात नहीं हैं परंतु बदनाम नहीं होना चाहिए, पढ़िए इसी पर एक हास्य व्यंग्य। इस कहानी के लेखक हैं
बेढब बनारसी।
बुरे फंसे : मीटिंग में: लेखक बहुत जतन के बाद भी एक मीटिंग में से नहीं निकल पाते। बहुत देर होने के बाद भी उन्हें रुकना पड़ता है। जानिए क्यूँ? इस कहानी के लेखक हैं बेढब बनारसी।
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कौशल : अजीब ही है पति-पत्नी का रिश्ता। इसमें हंसी भी है रुदन भी। लड़ाई भी है मिलन भी। सुख भी है दुःख भी। पर फिर भी एक दूसरे के साथ रहें तभी रिश्ता पूरा है। फिर जब पति, पत्नी की कोई तीव्र इच्छा पति पूरा नहीं करता तो पत्नी को क्या करना पड़ता है? जानिए मुंशी प्रेमचंद जी की कहानी कौशल में।
कफ़न : मुंशी प्रेमचंद द्वारा लिखी गयी ‘कफ़न’, एक छोटी कहानी है। यह कहानी २ गरीब आदमियों की ज़िंदगी के एक दिन पर आधारित है। ये २ लोग बहुत आलसी हैं और काम करना भी नहीं चाहते। यह इसीलिए कि काम करने वाले लोग भी बुरी हालत में ही होते हैं। तो ये थोड़ा बहुत खा पी कर ही खुश रहते हैं।
आत्माराम : महादेव को सबसे प्यारा अपना तोता आत्माराम है। परंतु एक दिन महादेव का जीवन बदल जाता है उसके आत्माराम के लिए प्रेम की वजह से ही। जानिए ऐसा क्या घटित हो जाता है एक ही दिन में – मुंशी प्रेमचंदकी कहानी आत्माराम में ।
राष्ट्र का सेवक : राष्ट्र का सेवक, मुंशी प्रेमचंद जी की कहानी, बहुत ही सरल ढंग से एक महत्वपूर्ण मुद्दे को उठाती है । यह दर्शाती है कि कभी कभी लोग जो उपदेश देते हैं उसका पालन कर पाना खुद उनके लिए कठिन होता है ।
आत्म-संगीत : क्या होता है जब एक बड़े देश की रानी भक्ति में लीन हो जाती है ? क्या है आत्म-संगीत ? क्या है सुख ? इन्हीं सब के इर्द-गिर्द घूमती प्रेमचंद की कहानी ‘आत्म-संगीत’ प्रस्तुत है आपके पढ़ने के लिए ।
विजय: आजादी, स्वतंत्रता सभी को भाति है। लेकिन इस आजादी का महत्व वही जनता है, जिसने गुलामी का दर्द देखा हो। ऐसा कैसे? जानने के लिए पढ़िए मुंशी प्रेमचंद की ये कहानी ।
शंखनाद: गुमान यह नहीं समझता कि उसके लिए जीवन में कुछ कार्य करना ज़रूरी है । पर अचानक कुछ ऐसा होता है कि उसके लिए सब बदल जाता है। ऐसा क्या होता है ? पढ़िए मुंशी प्रेमचंद की यह कहानी।
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रक्षा-बंधन: यह कहानी एक परिवार को रक्षा बंधन से वापस पिरोने की कहानी है । इस कहानी के लेखक हैं विश्वंभर नाथ शर्मा ‘कौशिक‘।
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लिली :लिली एक लघु प्रेम कथा है उस समय पर आधारित जब अंतर्जातिय विवाह नहीं हुआ करते थे। खूब पढ़ लेने के बावजूद भी पद्मा के पिता की सोच जातिवाद तक ही सीमित रहती है । उनकी जातिवादी सोच और पद्मा की आधुनिक सोच उन दोनों से क्या करवाती है – जानने के लिए पढ़िए पूरी कहानी – लिली, जिसके लेखक हैं सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ जी ।
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लेखिका – तुलसी पिल्लई “वृंदा”
होमवर्क | बचपन के लक्ष्य की कहानी: लेखिका तुलसी पिल्लई ‘वृंदा’ की यह कहानी उनके अप्पा के सपने पर है। बचपन के सपने को लेखिका अपने लक्ष्य के रूप में भी देखती हैं। पढ़िए यह कहानी और जानिए कि क्या अप्पा का सपना पूरा हो पाया?
‘मद्रास की मुर्गी’ और ‘गुड़िया वाला अण्डा’ | एक प्यारी सी कहानी : बचपन के दिन अलग होते हैं। हर चीज़ एक अविश्वसनीय चीज़ लगती है और हम इस दुनिया को देख कर ये सोचते हैं कि यहाँ कुछ भी हो सकता है। बस ऐसे ही भोलेपन को दर्शाती और दिल को गुदगुदाती है ये प्यारी सी कहानी जिसे लिखा है लेखिका तुलसी पिल्लई “वृंदा” ने।
एक झूठ | भावपूर्ण कहानी: आपने कभी झूठ के बारे में सोचा? उसके बारे में सुनने तो को यही मिलता है कि झूठ ग़लत है। पर क्या कभी ऐसा हो सकता है कि झूठ सही लगने लगे? पढ़िए तुलसी पिल्लई की यह भावपूर्ण कहानी जो आपको यह सोचने के लिए ज़रूर मजबूर करेगी।
मेरा ठुमका अप्पा पर पड़ा भारी: यह कहानी लेखिका तुलसी पिल्लई ‘वृंदा’ के बचपन की है, जब एक बार उन्होंने अपने अप्पा को अपना डांस दिखाना चाहा पर अप्पा ने मना कर दिया। जानिए क्या हुआ आगे।
दाढ़ी बनाने की कला: लेखिका अप्पा को दाढ़ी बनाते हुए देखती हैं और फिर उनका भी मन करता है कि वो उनकी दाढ़ी बनाएँ। पर क्या वो उनकी दाढ़ी बना पाती हैं? जानने के लिए पढ़िए लेखिका तुलसी पिल्लई “वृंदा” की बचपन को याद करती यह कहानी “दाढ़ी बनाने की कला”।
पैसों का पेड़ (भाग-1): यह कहानी पाँच भागों में लिखी गयी है और यह इस कहानी का पहला भाग है। इस कहानी में लेखिका तुलसी पिल्लई “वृंदा” अपने बचपन के दिनों का एक दिलचस्प क़िस्सा साझा कर रही हैं।
पैसों का पेड़ (भाग-२): यह कहानी ‘पैसों का पेड़’ कहानी का दूसरा भाग है जिसे लिखा है लेखिका तुलसी पिल्लई “वृंदा” ने।
पैसों का पेड़ (भाग-3): यह कहानी ‘पैसों का पेड़’ कहानी का तीसरा भाग है जिसे लिखा है लेखिका तुलसी पिल्लई “वृंदा” ने।
पैसों का पेड़ (भाग-४): यह कहानी ‘पैसों का पेड़’ कहानी का चौथा भाग है जिसे लिखा है लेखिका तुलसी पिल्लई “वृंदा” ने।
पैसों का पेड़ (भाग-5): यह है कहानी ‘पैसों का पेड़’ का पाँचवा और आख़िरी भाग जिसे लिखा है लेखिका तुलसी पिल्लई “वृंदा” ने।
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एक सुंदर और भावपूर्ण कहानी मोर के प्रेम, भावनाओं और परवाह पर – नीलकंठ-मोर , लेखक – महादेवी वर्मा
कितना सहना पड़ता है एक गाय को उस देश में जहाँ उन्हें पूजा भी जाता है, पढ़िये इस कहानी में – गौरा गाय , लेखक – महादेवी वर्मा
एक मासूम दिखने वाला ख़रगोश क्यों बन गया झगड़ालू और ग़ुस्सैल? पढ़िए इस कहानी में – दुर्मुख खरगोश , लेखक – महादेवी वर्मा
कैसे एक नादान और जंगली गिलहरी का बच्चा – पालतू और जिगर का टुकड़ा बन गया लेखिका के लिए? पढ़िये इस कहानी में – गिल्लू , लेखक – महादेवी वर्मा
आख़िर क्यों निश्चय किया लेखिका ने फिर से हिरण न पालने का? पढ़िए इस बेहद भावपूर्ण, एक हिरणी की अटखेलियों से भरी कहानी में – सोना हिरनी , लेखक – महादेवी वर्मा
कहानी एक अनोखे कुत्ते की। जिसने स्नेह दिया सबको। जिस पर विश्वास किया सबने। एक कहानी ऐसे कुत्ते की जिसने निस्वार्थ भाव से बिल्ली चूहे खरगोश पक्षी आदि सब की रक्षा की। – नीलू कुत्ता, लेखक – महादेवी वर्मा
एक बच्ची और उसके तीन पालतू जानवर। उनके निःस्वार्थ प्रेम और प्रीति की मासूम कहानी-निक्की, रोज़ी और रानी , लेखक – महादेवी वर्मा
बिंदा: यह जीवन हमें कई परिस्थितियाँ दिखाता है, परंतु जीवन में यदि हम कभी परेशान होते हैं तो सबसे पहले याद आती है माँ। क्या हो अगर यह माँ ना हो? और क्या हो अगर यह माँ, माँ जैसी ना हो? महादेवी वर्मा की बहुत ही भावुक कर देने वाली यह कहानी बिंदा।
घीसा : महादेवी वर्मा की यह भावपूर्ण कहानी घीस एक नन्हे से विद्यार्थी पर है, जो था तो छोटा पर जिसका दिल बहुत बड़ा था।
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