संक्षिप्त परिचय : ये लघु कथा दो भाइयों के जीवन पर आधारित है। यह कहानी आप को प्रेरित ज़रूर करेगी।
मनुष्य के जीवन में कई प्रकार पड़ाव आते है। जिसमे वे पड़ाव परिवर्तन शील होते है। कभी जीवन में सुख भी आता है तो कभी जीवन में दुःख भी आता है। मनुष्य के जीवन में आगे चल कर यही स्मृति बन जाते है।
किसी छोटे से गांव में दो भाई रहते थे। एक का नाम आदेश था । और दूसरे भाई का नाम उद्देश्य था। दोनो भाई बहुत ही होनहार और व्यहावर कुशल लड़के थे। और अपने शिक्षक के प्रिय छात्र भी थे। एक बार शिक्षक ने दोनो भाईयो से पूछा। तुम जिस गांव में रहते हो। तुम उस गांव के लिए क्या कर सकते हो। आदेश ने कहा गांव हमारी जन्म भूमि है। और हमें यह सदैव स्मरिणीय रहेगा। इस गांव के लिए जिस वस्तु की आवश्यकता होगी। उसका हम निर्माण करेंगे। फिर उद्देश्य से पूछा गया ,उद्देश्य ने बड़ी ही नम्रता से कहा । जब आदेश होगा। तभी मेरा उद्देश्य पूर्ण होगा। इस बात पर शिक्षक मुस्कुराए और कहा। तुम दोनो के बिना कोई कार्य पूर्ण, होना असम्भव है।
समय बीतता गया, और वहीं आदेश और उद्देश्य अपने श्रेष्ठता की चरम ऊंचाइयों पर पहुंच गए । आदेश एक डॉक्टर बन जाता है। उद्देश्य एक शिक्षक बन जाता है। कई बरसों के बाद वह दोनो अपने गांव लौट आते है। जिन शिक्षको से उन्होंने शिक्षा ग्रहण की थी । वह सफल होकर अपने शिक्षक से मिलते है। शिक्षक अपने छात्रों को सफल देखकर बहुत खुश होते है।
शिक्षक ने आदेश से पूछा तुम क्या बन गए? आदेश ने कहा में आपके आशीर्वाद से डॉक्टर बन गया हूं। शिक्षक ने कहा बधाई हो तुम्हें। फिर उद्देश्य से पूछा गया। तुम क्या बन गए? उद्देश्य ने कहा में भी आपकी तरह एक श्रेष्ठ शिक्षक बन गया हूँ। तुम्हें भी बहुत बधाई हो ।
शिक्षक ने कहा आखिर मेरी मेहनत सफल हुई। शिक्षक ने कहा अब तुम गांव में कब तक ठहरे हुए हो। दोनो छात्रों ने कहा आचार्य जी हम दोनो यही रहकर अपने गांव को ही श्रेष्ठ बनायेगे। शिक्षक ने कहा तुम दोनो वो कैसे, आदेश ने कहा अपने प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में यहां प्रमोशन हो गया है। और उद्देश्य का हायर सेकेण्डरी में प्रमोशन हो गया है। शिक्षक यह सुनकर अत्यंत प्रसन्न हुए। आदेश ने समय की बागडोर के चलते चलते गांव में एक अस्पताल का निर्माण करवाया। और उद्देश्य ने एक प्राथमिक विद्यालय का निर्माण करवाया। आदेश और उद्देश्य अपने जीवन में एक स्मरणीय तथ्य का स्त्रोत बन गए।
सुंदरी अहिरवार
भोपाल मध्यप्रदेश
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