संक्षिप्त परिचय: सावन के मौसम को प्रेम से जोड़ा जाता रहा है। यह कविता भी सावन को प्रेम से जोड़ते हुए प्रेमी के लिए एक संदेश लिए है।
वक्त माँगू तो दे दिया करो,
साथ चलने को कहूँ
तो बिना पूछे ही
मेरे कदमों से कदम मिला लिया करो ।
मौतों का सिलसिला चल रहा है,
बेवजह भी बिना बताए
मेरे शहर में
कभी-कभार दस्तक दे जाया करो ।
यूँ ही सवालों की महफ़िलों में
कभी-कभी
मेरा जवाब बनकर आ जाया करो ।।
अच्छा सुनो ना!
इस सावन की
मोहब्बत-भरी बरख़ा के मौसम में,
मुझसे मिलने तुम
कभी-कभी आ जाया करो ।
क्यूँकि जनाब!
कभी-कभी
न वक्त मुकम्मल होता है,
और ना ही इंसान उम्रभर ठहरता है ।
बस यादों का मंज़र होता है
और तन्हाई का बसेरा होता है ।
आँसुओं का साथ होता है
और ये सारा जहां भी तो
एक ना एक याम हमारे खिलाफ होता है ।।
इसलिये कहती हूँ,
कभी-कभी
यूं ही मेरे शहर में आ जाया करो ।
मिलने न सही,
अपनी दस्तक से ही
इस बंजर हुए जहां को
प्रीत की बरख़ा से
सावन के मौसम में
रिमझिम-सा रोशन कर जाया करो ।।
-आरती वत्स
(मिस हरियाणा)
कैसी लगी आपको सावन पर यह कविता ? कॉमेंट कर के ज़रूर बताएँ और लेखिका को भी प्रोत्साहित करें।
कविता की लेखिका आरती वत्स के बारे में जानने के लिए पढ़ें यहाँ ।
पढ़िए उनकी और कविताएँ यहाँ:
- औरत : समाज में औरत होने का क्या मतलब है? क्यूँ एक औरत के इतने सपने अधूरे रह जाते हैं? पढ़िए दिल को छू लेने वाली यह कविता जिसे लिखा है आरती वत्स जी ने।
- रूहानी इश्क़: एक इश्क़ कितना गहरा हो सकता है? वह कौनसा इश्क़ है जो सबसे गहरा होता है? कैसा महसूस होता है ऐसे इश्क़ में? कवयित्री आरती वत्स ऐसा ही कुछ बताने की कोशिश कर रही हैं अपनी इस कविता में जो इश्क़ पर है।
- हिंदी हैं हम: भारत में हिंदी हमारी राष्ट्रीय भाषा है। साथ ही भारतीयों में कई लोगों की मातृभाषा भी। फिर भी लोग इसे बोलने में शर्म महसूस करते हैं। ऐसे ही लोगों को हिंदी भाषा को अपनाने की प्रेरणा देती आरती वत्स की यह कविता हिंदी भाषा पर।
- प्रेम: दुनिया में मनुष्य ने चाहें बहुत कुछ हासिल कर लिया हो और आज उसे कई चीजों की ज़रूरत ना महसूस होती हो। पर प्रेम एक ऐसी भावना है जिसे हर मनुष्य महसूस करना चाहता है। ऐसे ही प्रेम पर आरती वत्स की यह अद्भुत कविता ।
- डूबता चला जाता हूँ: जब एक प्रेमी अपनी प्रेमिका के लिए कविता लिखेगा तो उसमें क्या लिखेगा? शायद वो प्रेम की कविता आरती वत्स की यह कविता ‘डूबता चला जाता हूँ’ के जैसी ही होगी।
- हमसफ़र: जब एक स्त्री अपने जीवनसाथी को देखती है तो उसके मन में ज़रूर कुछ सवाल उठते होंगे, जिन्हें वो कभी पूछ पाती होगी कभी नहीं। उन्हीं प्रश्नों को अपनी कविता में ख़ूबसूरती से उकेरा है कवयित्री आरती वत्स ने।
पढ़िए ऐसी ही कुछ और कविताऐं :-
- मुझे याद आते हैं वो गर्मी के दिन : हम सब के लिए सब से क़ीमती होते हैं बचपन के वो मासूम दिन। इस कविता में कवयित्री अपने बचपन में बिताए गर्मी के दिनों को याद करती हैं।
- सारे मौसम खो गए हैं: जीवन में खुश रहने के लिए क्या ज़रूरी है? क्या वह इंसान जिसके पास में सब कुछ है, खुश है? ऐसे ही कुछ सवालों के जवाब देती हुई कवयित्री उषा रानी की यह जीवन पर कविता ।
- बसंती ऋतु मनभावन आई : पतझड़ के बाद ही तो बसंत आता है। जब लगता है सब ख़त्म तभी नयी आशा की किरण लाता है। यही तो इस त्यौहार का महत्व है। इस मन को उल्लासित करने वाले बसंत ऋतु के पर्व पर मन को उल्लासित करने वाली यह कविता ।
अगर आप भी कहानियाँ या कविताएँ लिखते हैं और बतौर लेखक आगे बढ़ना चाहते हैं तो हमसे ज़रूर सम्पर्क करें storiesdilse@gmail.com पर। आप हमें अपनी रचनाएँ यहाँ भी भेज सकते हैं: https://storiesdilse.in/submit-your-stories-poems/
Photo by Janine Robinson
785 total views