भंवर तनावों के | जीवन पथ पर कविता

उषा रानी की कविता | A Hindi Poem by Usha Rani

भंवर तनावों के | जीवन पथ पर कविता | उषा रानी की कविता

संक्षिप्त परिचय: आज इंसान ने तरक़्क़ी तो बहुत कर ली है पर क्या वो जिस सुकून की तलाश में था वो उसे मिल पाया है? जीवन पथ के कुछ ऐसे ही संघर्ष पर प्रकाश डालती है उषा रानी जी की यह कविता ।

तनावों के भंवर में फंसी ,
खुशियों की 🚣नाव,
जाने कहाँ खो गए,
भोले- भाले गाँव ।
चाहतों की आंधी ने
कितना बदल दिया ।
आदमी ढूंढ रहा
सुकून भरी ठंडी छाव ।
मंजिल बहुत दूर,
जाने कितने सफर,
छालों से भरे,
बहुत दुखने लगे पांव ।
जलते है जाने कितने,
एक दूसरे से,
रंजिशों की धूप में,
खेलता आदमी कितने दांव ।
खिले फूलों की किस्मत,
जाने कहाँ जायेंगे,
टूट कर बिखरेंगे या
छूएंगे भगवान के पांव ।
पंछी चहकते उपवन में,
डाली डाली फुदकते,
घोंसला कहाँ बनाऊँ
ढूंढ रही सुरक्षित छांव ।
जिंदगी का कहाँ ठिकाना
पल -पल में बदलती रंग,
कहाँ कहाँ नहीं भटके
आसमान में ढुंढते ठाव ।
अजीब कश्मकश में
रात-दिन खोज रहा,
चांद तारों की दुनिया में
अपने सपनों के गाँव ।

स्वरचित कविता
उषा रानी पुंगलिया जोधपुर राजस्थान.


कैसी लगी आपको जीवन पथ पर यह कविता  ‘भंवर तनावों के ’ ? कॉमेंट कर के ज़रूर बताएँ और कवयित्री को भी प्रोत्साहित करें।


कविता की लेखिका उषा रानी के बारे में जानने के लिए पढ़ें यहाँ 


पढ़िए कुछ और ऐसी कविताएँ:

  • मुझे याद आते हैं वो गर्मी के दिन :
    जीवन पथ पर आगे बढ़ते बढ़ते हम बहुत कुछ पीछे छोड़ देते हैं परंतु हम सब के लिए सब से क़ीमती होते हैं बचपन के वो मासूम दिन। इस कविता में कवयित्री अपने बचपन में बिताए गर्मी के दिनों को याद करती हैं।
  • एक भावांजलि … ग्राम्य-वास को  | गाँव पर कविता: गाँव का जीवन शहर के जीवन से अलग होता है, पर उसमें कुछ वे विशेषताएँ होती हैं जो शहर में ढूँढने से भी नहीं मिलती। कौन सी होती हैं ये विशेषताएँ ? जानने के लिए पढ़िए गाँव पर यह कविता ।

पढ़िए उषा रानी जी की और कविताएँ:

  • यमराज बनी सड़कें | सड़क सुरक्षा पर कविता : सड़क सम्पूर्ण मानवता के लिए बहुत महत्वपूर्ण रही है। कई सभ्यताएँ इसी के इर्द गिर्द बसी हैं। पर आज यह सड़क ही यमराज बन गयी है। इसी विषय पर है उषा रानी जी की यह सड़क सुरक्षा पर कविता ।
  • फागुन का महीना: फागुन का महीना आता है तो साथ में लाता है रंगो का त्योहार होली – इसी त्योहार का जश्न मना रही है उषा रानी जी की यह कविता।
  • वीर शहीदों की याद: शहीद दिवस पर विशेष श्रध्दांजलि अर्पित करते हुए यह कविता वीर शहीदों को नमन है।
  • हरे रंग का तोताराम | बाल कविता: कवयित्री उषा रानी की यह कविता एक प्यारी सी बाल कविता है एक तोते पर, जो एक प्यारी सी सीख भी देती है।
  • औरत तुम: औरत होना आसान नहीं है। प्रकृति ने भी तो उसे कितनी ज़िम्मेदारियाँ दी हैं निभाने को। ऐसी ही औरत की खूबियों पर प्रकाश डालती है यह कविता ।
  • सारे मौसम खो गए हैं: जीवन में खुश रहने के लिए क्या ज़रूरी है? क्या वह इंसान जिसके पास में सब कुछ है, खुश है? ऐसे ही कुछ सवालों के जवाब देती हुई कवयित्री उषा रानी की यह जीवन पर कविता ।
  • बसंती ऋतु मनभावन आई | वसंत ऋतु पर कविता : पतझड़ के बाद ही तो बसंत आता है। जब लगता है सब ख़त्म तभी नयी आशा की किरण लाता है। यही तो इस त्यौहार का महत्व है। इस मन को उल्लासित करने वाले बसंत ऋतु के पर्व पर मन को उल्लासित करने वाली यह कविता ।
  • बसंत के रंग हजार | बसंत ऋतु पर कविता: पतझड़ के बाद ही तो बसंत आता है। जब लगता है सब ख़त्म तभी नयी आशा की किरण लाता है। यही तो इस त्यौहार का महत्व है। इस मन को उल्लासित करने वाले बसंत ऋतु के पर्व पर मन को उल्लासित करने वाली यह कविता ।
  • जवान तुझे सलाम | गणतंत्र दिवस पर कविता: गणतंत्र दिवस पर लिखी गयी यह कविता भारत के उन वीर जवानों को सलाम करती है जिन्होंने देश के लिए अपने जान देने से पहले एक बार नहीं सोचा ।
  • प्रकृति🌿🍃 हमारी माता है: है तो मनुष्य भी प्रकृति का अंश ही, पर आज कुछ ऐसी स्थिति हो गयी है कि वही मनुष्य प्रकृति का दुश्मन लगता है। ऐसे में ज़रूरी है कि सब समझें प्रकृति का महत्व। यही पहलू उठाती है कवयित्रि उषा रानी की प्रकृति पर यह कविता ।
  • चाय हमारा मान है: भारत में लगभग हर घर में चाय एक अनन्य हिस्सा होती है। पर ऐसा क्यूँ होता है? जानने के लिए पढ़िए चाय पर यह कविता ।
  • दादी तुम चुप क्यों हो?: कवयित्री उषा रानी की यह कविता बूढ़ी दादी माँ के लिए कई सवाल लिए है। पढ़ के ज़रूर बताइएगा कि क्या आपके दिल में भी ऐसे ही सवाल आते हैं ?
  • आइसोलेशन – एकांत में अकेला रहना: आज कोरोना की वजह से इंसान का एकांत में रहना मजबूरी हो गया है। इसी पहलू को उजागर करती है उषा रानी की यह कविता ‘एकांत में अकेला रहना’।
  • पुरुष का मौन: जहाँ आज सब स्त्री पर हो रहे अत्याचारों को ध्यान में रखते हुए उन पर कविताएँ लिख रहे हैं, जो कि समय की माँग भी है वहीं एक ऐसी कविता की भी ज़रूरत है जो पुरुष के समाज में योगदान पर भी प्रकाश डाले। ऐसी ही एक कविता है ‘पुरुष का मौन’ जिसे लिखा है उषा रानी ने।

पढ़िए उनकी कहानी:

  • पिघलता हुआ सन्नाटा: इस जगत में हम कई मनुष्य हैं, सब के जीवन अलग हैं, और जीवन भी ऐसा कि हर मोड़ पर कुछ ना कुछ नई सीख मिलती रहती है। यह कहानी ऐसे ही रोज़मर्रा की ज़िंदगी के माध्यम से जीवन के मूल्य को समझाती हुई।
  • व्यथा अंतर्मन की | हिंदी कहानी: कमल नारायण एक अस्पताल में भर्ती हैं। कुछ ऐसी स्थिति है कि घबराहट होना लाज़मी है। पर इसी समय में उनका मन भूले बिसरे गलियारों में भी घूम आता है। कौनसे हैं वो गलियारे? जानने के लिए पढ़िए यह कहानी ‘व्यथा अंतर्मन की’।

अगर आप भी कहानियाँ या कविताएँ लिखते हैं और बतौर लेखक आगे बढ़ना चाहते हैं तो हमसे ज़रूर सम्पर्क करें storiesdilse@gmail.com पर। आप हमें अपनी रचनाएँ यहाँ भी भेज सकते हैं: https://storiesdilse.in/submit-your-stories-poems/


PC: Photo by Jared Lisack

 1,054 total views

Share on:

One thought on “

भंवर तनावों के | जीवन पथ पर कविता

उषा रानी की कविता | A Hindi Poem by Usha Rani

  1. आपकी लिखी रचना “पांच लिंकों का आनन्द में” 2 अक्टूबर शनिवार 2021 को लिंक की जाएगी …. http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा … धन्यवाद! !

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *