लॉकडाउन आदमी | Lockdown Aadmi | A short poem in hindi

कवि योगेश नारायण दीक्षित की कविता | A poem written by Yogesh Narayan Dixit

लॉकडाउन आदमी | lockdown aadmi | short poem in hindi । कवि योगेश नारायण दीक्षित की कविता | A poem written by Yogesh Narayan Dixit

संक्षिप्त परिचय: योगेश नारायण दीक्षित जी यह कविता लॉकडाउन में भारत के एक आम आदमी की हालत को बयाँ करती है|

बिखरता, टूटता आदमी देखा है कभी…

वही, एफबी पर दोस्तों की लिस्ट देखता
रोज अपना हाल उम्मीद से पोस्ट करता
फिर, शेयर लाइक और व्यूज गिनता।

अंदर से तड़पता आदमी देखा है कभी…

वही, छज्जे पर बार बार आकर झांकता
टीवी ऑन कर चैनल बदल ख़बरें देखता
चेहरे पर कोई भाव लाए बिना बुदबुदाता।

तिल तिल खोखला होता आदमी देखा है कभी..

घर में सब हैं पर पानी मांगने से हिचकता
खाली जेब हैं पर सब्जियों के रेट पूछता
आम नहीं खा सका पर गुठलियां गिनता।

खुद से बात करता आदमी देखा है कभी …

नीले आसमान और ताजा हवा से बचता
चांदनी में ठिठुरता और सूरज से जलता
अपनी परछाई से जरा बच के निकलता।

हां, लॉकडाउन में मैंने देखा है ऐसा इंसान
बिखरा,खोखला, मुंह छिपाता बेबस आदमी
उसका नाम पता है मुझसे मिलता जुलता।


कवि योगेश नारायण दीक्षित जी के बारे में और जानने के लिए पढ़ें यहाँ: कवि योगेश नारायन दीक्षित

पढ़िए उनकी एक और कविता यहाँ: योगेश #दोलाईना #यूंही

चित्रों के लिए श्रेय: pixabay.com

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