लोकतंत्र? | गणतंत्र दिवस पर कविता

योगेश नारायण दीक्षित की कविता

लोकतंत्र? | योगेश नारायण दीक्षित की कविता | गणतंत्र दिवस पर कविता

संक्षिप्त परिचय: गणतंत्र दिवस है और हम आज़ाद हैं, हाँ! पर कुछ सवाल कहीं ना कहीं तो आप में उठते ही होंगे। कुछ ऐसे ही सवालों की ओर ध्यान आकर्षित करती है यह कविता।

सपनों को पंख तो लगे पर आसमान न मिला
आज़ादी तो मिली, पर पूरा हिंदुस्तान न मिला।

अपनी सरकार से कुछ कहने के रास्ते भी बंद हैं
वोट की कीमत तो लगी, पर अधिकार न मिला।

दुहाई लोकतंत्र की तो देते हैं खासो – आम सब
तंत्र तो मजबूत हुआ, लोक का पुरसाहाल न मिला।

आजाद हवा है तो अहसास हमें भी है आजादी का
संविधान की दुहाई तो सुनी, पर उसे सम्मान न मिला।

आज तो जश्न का दिन है, खुश तो तुम भी होगे
नेता तो खूब फले,पर खुशहाल किसान न मिला।


कैसी लगी आपको गणतंत्र दिवस पर कुछ अलग विचार करती, आपके मन में कुछ अलग सवाल याद दिलाती यह कविता?


कविता के लेखक योगेश नारायण दीक्षित जी के बारे में जानने के लिए पढ़ें यहाँ ।


पढ़िए गणतंत्र दिवस पर और कविताएँ:


पढ़िए योगेश नारायण दीक्षित जी की और कविताएँ:

  • कृषि कानून: आज भारत में कई किसान कृषि क़ानून का विरोध कर रहे हैं। आज के इसी माहौल पर कुछ अनोखे ढंग से प्रकाश डालती योगेश नारायण दीक्षित जी की यह कविता ।
  • क्रिसमस का उल्लास: साल के आख़िरी माह दिसंबर और आने वाले नए साल की शुभकामनाएँ लिए यह छोटी सी हिंदी कविता ‘क्रिसमस का उल्लास’।
  • बाजारों में तुम खूब चलोगे: इस दुनिया में कुछ चीजें क्यों होती हैं ये किसी को समझ नहीं आता। ऐसे ही कुछ पहलूओं पर व्यंग्य करती है ये व्यंग्यात्मक कविता ‘बाजारों में तुम खूब चलोगे’ ।
  • देर नहीं लगती: इस जीवन में हम अलग अलग तरह के लोगों से मिलते हैं और बात करते हैं। कभी कहीं सच देखते और सुनते हैं और कहीं झूठ। ऐसे ही जीवन के सच और झूठ पर यह कविता।
  • दिल कागज पर लिख लाया है: कभी अगर आपका दिल आपसे कुछ कहना चाहे, तो वो क्या कहेगा? कुछ ऐसे ही सवाल का जवाब देने की कोशिश कर रहे हैं कवि अपनी कविता ‘दिल कागज पर लिख लाया है’ के माध्यम से।
  • इतना कैसे कर लेते हो : योगेश नारायण दीक्षित जी की जीवन पर यह कविता, जीवन के कुछ अजीब तथ्यों को सरलता से प्रस्तुत करती है।
  • लॉकडाउन आदमीयोगेश नारायण दीक्षित जी यह कविता लॉकडाउन में भारत के एक आम आदमी की लॉकडाउन में हो रही हालत को बयाँ करती है|
  • योगेश #दोलाईना #यूंही : योगेश नारायण दीक्षित जी यह कविता बदलती दुनिया में बदलते लोगों पर गौर करती है।

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