संक्षिप्त परिचय: गणतंत्र दिवस, एक ऐसा दिन जब भारत एक गणतंत्र बना और हर साल इस दिन हम अपने वीर जवानों को याद भी करते हैं। ऐसे ही देश के वीर सिपाहियों पर यह कविता ।
कर्तव्य पथ पर डटे रहेंगे!!
जिद पर हम अड़े रहे हैं!!
हम देश के वीर सिपाही हैं!!
हम अपना “कर्म”करते रहेंगे!!
खाई “कसम” हमने अपने
देश की रक्षा के लिए,
देश में अमन शांति लाते रहेंगे!!
हम देश के वीर सिपाही हैं!!
हम अपना “कर्म”करते रहेंगे!!
हमारा देश चैन से सो पाये,
हम चैन से जागते रहेंगे!!
हम देश के वीर सिपाही हैं!!
हम अपना कर्म करते रहेंगे!!
हम हिंद के वीर सिपाही हैं!!
हिंदुस्तान पर जान लुटा देंगे!!
हम देश के वीर सिपाही हैं!!
हम अपना कर्म करते रहेंगे!!
सुन्दरी अहिरवार
कैसी लगी आपको यह गणतंत्र दिवस के उपलक्ष्य में लिखी गयी यह कविता ? कॉमेंट कर के ज़रूर बताएँ और कवयित्री को भी प्रोत्साहित करें।
कविता की लेखिका सुंदरी अहिरवार के बारे में जानने के लिए पढ़ें यहाँ ।
पढ़िए गणतंत्र दिवस पर और कविताएँ:
- एक भावांजलि ….. राष्ट्र को | गणतंत्र दिवस के पावन पर्व पर कविता : जैसा कि कविता के शीर्षक से प्रत्यक्ष है, यह कविता एक भावांजलि है राष्ट्र को। यह कविता गणतंत्र दिवस विशेष है, इस कविता को लिखा है कवि प्रभात शर्मा जी ने ।
- लोकतंत्र? | गणतंत्र दिवस पर कविता: गणतंत्र दिवस है और हम आज़ाद हैं, हाँ! पर कुछ सवाल कहीं ना कहीं तो आप में उठते ही होंगे। कुछ ऐसे ही सवालों की ओर ध्यान आकर्षित करती है यह कविता।
- वीर देश | गणतंत्र दिवस कविता : गणतंत्र दिवस पर विशेष रूप से लिखी गयी यह कविता भारत देश का गुणगान करती है।
- वीर जवानों की गाथाएँ | गणतंत्र दिवस की कविता: भारत देश की आज़ादी, उसका मान, उसकी वीरगाथा उसके वीर जवानों के बिना कैसे पूरी होगी? उन्ही वीर जवानों को समर्पित यह कविता – गणतंत्र दिवस के उपलक्ष्य में सुंदरी अहिरवार की यह कविता।
- जवान तुझे सलाम | गणतंत्र दिवस पर कविता: गणतंत्र दिवस पर लिखी गयी यह कविता भारत के उन वीर जवानों को सलाम करती है जिन्होंने देश के लिए अपने जान देने से पहले एक बार नहीं सोचा ।
पढ़िए उनकी कविताएँ:
- धूप और छांव: हमारे जीवन में माता-पिता का महत्व कभी कम नहीं होता। यही बात
- समझाती है ‘सुंदरी अहिरवार’ की यह कविता ‘धूँप और छांव’।
- नारी: सुंदरी अहिरवार की यह कविता नारी पर है। यह कविता नारी के विशेष गुणों पर प्रकाश डालती है।
- अंधेरे से उजाले की ओर: कवयित्री सुंदरी अहिरवार की ये एक उत्साह बढ़ाने वाली कविता है। इस कविता के माध्यम से वे पाठक को अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते रहने की प्रेरणा दे रही हैं।
- दीपावली: सुंदरी अहिरवार की यह कविता दीपावली के त्यौहार पर दीपावली का महत्व समझाते हुए, त्यौहार को मनाने की प्रेरणा दे रही है।
पढ़िए बेढब बनारसी की व्यंग्यपूर्ण कवियाएँ :-
- हुक्का पानी: तम्बाकू और भारत में उसके सेवन पर एक हास्य व्यंग्य।
- अफवाह: क्यों लोग सच्चाई से ज़्यादा अफवाह में विश्वास कर लेते हैं? समाज में अफ़वाहों के बढ़ते चलन पर एक हास्य व्यंग्य। यह व्यंग्य आज भी उतना ही सटीक है जितना पहले हुआ करता होगा।
- बद अच्छा बदनाम बुरा: आजकल ज़माना ऐसा है कि इसमें बुरा होना बुरी बात नहीं हैं परंतु बदनाम नहीं होना चाहिए, पढ़िए इसी पर एक हास्य व्यंग्य।
- बुरे फंसे : मीटिंग में: लेखक बहुत जतन के बाद भी एक मीटिंग में से नहीं निकल पाते। बहुत देर होने के बाद भी उन्हें रुकना पड़ता है। जानिए क्यूँ?
अगर आप भी कहानियाँ या कविताएँ लिखते हैं और बतौर लेखक आगे बढ़ना चाहते हैं तो हमसे ज़रूर सम्पर्क करें storiesdilse@gmail.com पर। आप हमें अपनी रचनाएँ यहाँ भी भेज सकते हैं: https://storiesdilse.in/guidelines-for-submission/
Image by CASE NEWTON (soldiers) and Image by Simon (sky)
1,825 total views