संक्षिप्त परिचय : भारत में एक और निर्भय कांड हुआ। इसी कांड पर यह कविता पाठक की आँखें खोलने के लिए। पढ़िए नारी अत्याचार के विरुद्ध आवाज़ उठाती यह कविता।
उस परिवार के दर्द को समझकर देखो,
परखकर देखो, अपने आप को वहां रख कर देखो ।
ये सिस्टम ये नेता अभिनेता बने बैठे हैं,
संगीन अपराधी है, फिर भी हैवानियत छुपाये बैठे हैं ।।
गरीब की बिटिया को बेचने पे उतारू है,
इज़्ज़त लूटने के बाद,
खुद की इज्जत को छुपाने पे उतारू है,
रात को अग्नि में शरीर जला दिया, कलयुग का दौर है “मित्रों”
सिर्फ इंसान नही, यहां इंसानियत को जला दिया ।।
हिन्दू धर्म, रीती रिवाज, बदलता हुआ ये समाज,
आज एक निर्भया जली, कल दूसरी जलेगी ।
हवस के सबूत मिटाने के लिए,
इन दरिंदो के सामने किसी की ना चलेगी ।।
आप जिन्दा हैं, जिन्दा रहे, जिन्दा रहते आप मर चुके हो,
इंसानियत बची है अगर, क्या हिन्दू धर्म समझते हो ?
जलती हुई लाश में आपके परिवार की भी लाश होगी,
बहन होगी, बेटी होगी, वो भी कोई रात होगी,
डरिये अपने आप से किस समाज में जी रहे हैं आप ?
मौत तक प्रशासन साथ ना दे, मौत के बाद आग ना दे ।।
उस निर्भया की आवाज़ सुनकर सहम उठता है मन ।
ऐसी अनेक निर्भया होंगी, जिससे डरता है मन ।।
आनेवाले समाज और विचारों को अपनाने वालों,
डरो अपने आप से, समाज से, विश्वास से
मिलाओ अपनी आवाज़, निर्भया की आवाज़ से ।।
कैसी लगी आपको यह नारी पर अत्याचार कविता , जो एक हिन्दी कविता है ? कॉमेंट कर के ज़रूर बताएँ और कवि को भी प्रोत्साहित करें।
कवि के बारे में जानने के लिए पढ़े यहाँ: अक्षय कंडवाल
पढ़िए ऐसी ही नारी पर हो रहे अत्याचार के विरुद्ध आवाज़ उठाती और कविताएँ:
- अब तो कुछ करना होगा: यह कविता ‘अब तो कुछ करना होगा’ नारी पर हो रहे अत्याचारों पर आवाज़ उठाती हुई, नारी को सशक्तिकरण की माँग करती हुई कविता है। पढ़िए कवि जुबैर खाँन द्वारा लिखी गयी यह कविता।
- मुझे मत मार: एक तरफ़ जहां भारत प्रगतिशील देश है वहीं आज भी ऐसी कुरीतियाँ हैं जो लोग नहीं छोड़ पा रहे हैं। ऐसी ही एक कुरीति है कन्या भ्रूण हत्या की। ऐसी कुरीति का पालन ना करने की प्रेरणा देती पढ़िए यह कन्या भ्रूण हत्या पर कविता।
- सुनो क्या कहती हैं बेटियां: भारत की बेटियां सुरक्षित हैं? और अगर नहीं तो क्यों? हम क्या कर सकते हैं उन्हें सुरक्षित करने के लिए? क्या हम जो करते आए हैं वो सही है? ऐसे ही सवालों का जवाब देती कवयित्री रानी कुशवाह की यह हिंदी में कविता ‘सुनो क्या कहती हैं बेटियां’।
- बेटियाँ: रानी कुशवाह की यह कविता ‘बेटियों पर है। अपनी कविता के माध्यम से वे बेटियों का महत्व तो समझा ही रही हैं साथ ही रूढ़ीवादी सोच की वजह से उन की हो रही स्थिति पर भी प्रकाश डाल रही हैं।
- हम बेटियाँ हिंदुस्तान की: रानी कुशवाह की यह कविता हिंदुस्तान में हो रहे नारी पर अत्याचार और उसकी वजह से पैदा हो रही कठिनाइयों पर प्रकाश डालती है।
अगर आप भी कहानियाँ या कविताएँ लिखते हैं और बतौर लेखक आगे बढ़ना चाहते हैं तो हमसे ज़रूर सम्पर्क करें storiesdilse@gmail.com पर। आप हमें अपनी रचनाएँ यहाँ भी भेज सकते हैं: https://storiesdilse.in/guidelines-for-submission/
Photo by Max Kukurudziak
2,941 total views