संदीप कुमार कटारिया – करनाल, हरियाणा से हैं। उनका जन्म 1993 में हुआ था । उन्होंने B.Sc, B.Ed व M.Sc करी हुई है ।
अब वे प्रतियोगी परिक्षाओं की तैयारी के साथ-साथ स्वतंत्र लेखन भी करते हैं। उन्होंने अपने साहित्यिक जीवन की शुरूआत अपने स्कूल के दिनों से ही कर दी थी । वे कविता,शायरी, लघुकथा, निबंध आदि विधाओं में लिख सकते हैं।
पढ़िए उनकी कविता:
- मुल्क़ के हालात | भारत देश पर कविता : भारत देश आज कुछ कठिनाइयों से जूझ रहा है। इन्ही कठिनाइयों पर प्रकाश डालती है यह कवि संदीप कुमार कटारिया जी की भारत देश पर कविता ‘मुल्क के हालात’।
- बिना तेरे: प्रेम में बिछड़ना, अपने प्रेम के बिना रहना, उन्हें भूलने की कोशिश करना पर फिर भी ना भूल पाना – बस ऐसे ही दर्द को बयाँ करती है यह कविता ‘बिना तेरे’।
पढ़िए उनकी कहानी:
- बोझ : आज हमार देश बहुत उन्नति कर रहा है पर कुछ ऐसे लोग भी हैं जो आज भी लड़कियों को बोझ समझ रहे हैं। इसी पहलू को उठाती है संदीप कटारिया जी की यह लघुकथा ‘बोझ’।
- दहेज एक मज़ाक : दहेज प्रथा समाज में एक कुरीति बन गयी है, इसके ख़िलाफ़ कई क़ानून होने के बावजूद भी लोग हैं जो इसको ग़लत नहीं समझते। ऐसे ही एक परिस्थिति पर है यह हिंदी लघुकथा ।
- जंगल में चुनाव : यह एक व्यंगात्मक लघुकथा है। है तो छोटी, पर एक दिलचस्प अन्दाज़ में आप को कुछ बड़े पहलू ज्ञात करा देगी।
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