बाजारों में तुम खूब चलोगे । व्यंग्यात्मक कविता

कवि योगेश नारायण दीक्षित की कविता | A Hindi poem by Yogesh Narayan Dixit

बाजारों में तुम खूब चलोगे । व्यंग्यात्मक कविता | कवि योगेश नारायण दीक्षित की कविता | A Hindi poem by Yogesh Narayan Dixit

संक्षिप्त परिचय: इस दुनिया में कुछ चीजें क्यों होती हैं ये किसी को समझ नहीं आता। ऐसे ही कुछ पहलूओं पर व्यंग्य करती है ये व्यंग्यात्मक कविता ‘बाजारों में तुम खूब चलोगे’ ।

टेढ़ी चाल वो दुलत्ती वाली
इसके बिन तुम कहाँ जमोगे।।
पहले सिक्का खोटा होने दो
बाजारों में तुम खूब चलोगे।।

झुकी हो गर्दन मरा ईमान
कुर्सी पर तुम खूब फबोगे।
इसकी टोपी उसके सर पर
अगले साहेब तुम्हीं बनोगे।

बुरा दौर है कहके देखो
सबके बुरे तुम्हीं दिखोगे।
खुश हो तो भी हँसना मत
सबकी नज़र में चढे मिलोगे।।

पहले सिक्का खोटा होने दो
बाजारों में तुम खूब चलोगे।


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कविता के लेखक योगेश नारायण दीक्षित जी के बारे में जानने के लिए पढ़ें यहाँ ।


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PC: Eduardo Soares

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