संक्षिप्त परिचय: एक तरफ़ जहां भारत प्रगतिशील देश है वहीं आज भी ऐसी कुरीतियाँ हैं जो लोग नहीं छोड़ पा रहे हैं। ऐसी ही एक कुरीति है कन्या भ्रूण हत्या की। ऐसी कुरीति का पालन ना करने की प्रेरणा देती पढ़िए यह कन्या भ्रूण हत्या पर कविता।
गर्भ से बिटिया करे पुकार,
मुझे मत मार मुझे मत मार।
मेरा भी सजने दे संसार,
मुझे मत मार मुझे मत मार।।
सृष्टि रथ की हूँ धुरी एक,
जग में नारी के रूप अनेक।
करती संसृति की रखवाली,
कर समाहित सब अवतार।
मुझे मत मार, मुझे मत मार।।
सदियों तक तुम जाने अबला,
देखो मैं अब हो गई सबला।
जल थल वायु सभी क्षेत्र में,
अब देख मेरा उपकार।
मुझे मत मार मुझे मत मार।।
मैं हूँ प्रेम की पावन मूरत,
देख मेरी ममता की सूरत।
उदर में रख पयपान कराती
लुटाती हूँ अनुपम प्यार।
मुझे मत मार मुझे मत मार।।
मैं ही प्रिया भगिनी माता,
निभाती हूँ अनुपम नाता।
मैं ही दादी मैं ही हूँ नानी,
मैं ही देती सब संस्कार।
मुझे मत मार मुझे मत मार।।
गिद्ध दृष्टि ना मुझ पर डालो,
संयम से खुद को संभालो।
देखो नारी में भगिनी माता,
नहीं रिश्ते को करो शर्मसार।
मुझे मत मार मुझे मत मार।।
भ्रूण हत्या कर बनो न पापी,
ले दहेज ना बनो अभिशापी।
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ,
गुंजित कर जननी जयकार।
मुझे मत मार मुझे मत मार।।
स्वरचित एवं मौलिक,
रामप्रवेश पंडित मेदनीनगर झारखंड
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PC: Annie Spratt
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