संक्षिप्त परिचय: सुंदरी अहिरवार की यह कविता नारी पर है। यह कविता नारी के विशेष गुणों पर प्रकाश डालती है।
नारी तुम अबला नहीं,
तुम एक सबला नारी हो।
तुम में पूरे वीरता के गुण समाये,
इसलिए तुम झांसी की रानी कहलायी ।
नारी तुम अबला नहीं,
तुम एक सबला नारी हो।
तुम दया का वह सागर हो,
जिसमें पूरा संसार समाहित है।
नारी तुम अबला नहीं,
तुम एक सबला नारी हो।
ममता का वह रूप हो तुम जिसमें जीवन का सार होता है।
नारी तुम अबला नहीं,
तुम एक सबला नारी हो।
नारी तुम त्यागमय हो, जिसमें अपनी खुशियों का परित्याग करती हो।
नारी तुम अबला नहीं,
तुम एक सबला नारी हो।
धैर्य और इच्छा शक्ति कि वह देवी हो जिसमें नौ रूपों का समावेश है।
नारी तुम वह आलेख हो जिसमें पूरी दुनिया सुलेख है।
नारी तुम अबला नहीं, तुम एक सबला नारी हो।
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कविता की लेखिका सुंदरी अहिरवार के बारे में जानने के लिए पढ़ें यहाँ ।
पढ़िए नारी शक्ति पर अन्य कविताएँ:
- अब तो कुछ करना होगा: यह कविता ‘अब तो कुछ करना होगा’ नारी पर हो रहे अत्याचारों पर आवाज़ उठाती हुई, नारी को सशक्तिकरण की माँग करती हुई कविता है।
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नारी पर ही कुछ कहानियाँ:
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PC: Miguel Bruna
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नारी सशक्तीकरण को दिशा देने और समाज मे नारी की समता समानता और उसके अधिकारो को अपनी रचनाओं के द्वारा उल्लेखित करना अतुलनीय कार्य है
बहुत सुन्दर 👌👌👌