पतंगबाज़ी कॉम्पिटिशन | एक कहानी

भावना सविता की कहानी | A Short Story in Hindi written by Bhawna Savita

पतंगबाजी कॉम्पिटिशन | एक कहानी | भावना सविता की कहानी | A Short Story in Hindi written by Bhawna Savita

संक्षिप्त परिचय: लेखिका भावना सविता द्वारा लिखी गयी यह कहानी एक पतंगबाज़ी कॉम्पिटिशन पर कहानी है जो आम पतंगबाज़ी कॉम्पिटिशन से कुछ अलग है। कैसे अलग है ? जानने के लिए पढ़िए यह कहानी।

शाम को मैं अपनी छत की मुंडेर से टिकी आसमान में रंग बिरंगी पतंगों को उड़ते देख रही थी। बचपन से ही इन पतंगों को उड़ते देखना मेरा शौक़ रहा है। अचानक मेरी नजर दूर से आते हुए पतंगों के झुण्ड पर पड़ी, जिस में सारी पतंगें लाल और सफेद रंग की थी। ये पतंगें आम पतंगों की तुलना में काफी बड़ी थी। ये झुण्ड अभी तक मेरी नजरों से काफी दूर था। जैसे-२ झुण्ड पास आ रहा था, मैंने देखा हर पतंग से एक बच्चा बंधा हुआ है। बच्चे ने भी पतंग की भाँति ही लाल और सफेद रंग के कपड़े के मास्क पहने हुए हैं, वैसे ही जैसे स्पाइडर मैन या सुपरमैन पहनते हैं।

फिर एक ऐसा ही झुण्ड मुझे दूसरी दिशा से आता दिखा, जिसकी पतंगें और बच्चे नीले और पीले रंग के थे। मैं आश्चर्य से उन दोनों झुंडों को देख रही थी। ये किन्ही स्कूलों का पतंगबाज़ी कॉम्पिटिशन था। दोनों झुण्ड आपस में उलझ रहे थे, चिल्ला रहे थे। पतंगों के साथ बच्चे भी उसी गति से उड़ रहे थे जैसे पतंग। कॉम्पिटिशन का लेवल बहुत हाई था, हर बच्चा दूसरी टीम के बच्चे के साथ उलझने और खुद संभलने में लगा था। मेरे आश्चर्य की तो सीमाएं ही पार हो चुकी थी कि हम इत्ती तरक्की कब कर गए और मैं इतना पीछे कैसे हूँ जब कि मेरी तो बचपन से इच्छा रही पतंग की तरह उड़ने की। पर मेरा जोश उन बच्चों की तरह ही चरम पर था मैं भी उछल-उछल कर उनको चीयर कर रही थी।

तभी अचानक एक झुण्ड में से काटीयो….. की जोर से आवाज आई और मैं देखती हूँ क्या कि एक बच्चा पतंग के साथ लहराता हुआ मेरी तरफ को आ रहा है। मतलब मेरी छत पर पतंग आने वाली है, पर वो पतंग मिलने की खुशी से ज्यादा उस बच्चे को देखते हुए मेरी सांसे ऊपर नीचे हो ही रही थीं कि तभी वो बच्चा धम्म से मेरी छत पर मेरे फेवरेट पौधे के गमले पर आकर गिरा।

बच्चे के गिरने के साथ और गमले के फूटने के साथ जो चीख निकली सीधे उठकर बैठ गयी। हड़बड़ा कर अपने आसपास देखा कुछ भी नही था। मेरी सांसे जरूर जोर-जोर से चल रहीं थी पर मैं अपने कमरे में थी, अपने बेड पर। ना कोई बच्चा था ना पतंग। पर अब चेहरे पर मुस्कुराहट जरूर थी वही बचपन वाली, जब मैं भी पतंग को पीठ पर बांध उड़ना चाहती थी, नीले आसमान में, पक्षियों की तरह। आज वही ख्वाईश सपना बन कर मेरे सामने थी, हकीकत से कोसों दूर थी, पर प्यारी थी।

-भावना सविता (स्वरचित)


कैसी लगी आपको पतंगबाज़ी कॉम्पिटिशन पर यह छोटी सी कहानी? कॉमेंट में ज़रूर बताएँ और लेखिका को भी प्रोत्साहित करें।

लेखिका भावना सविता के बारे में अधिक जानने के लिए पढ़ें यहाँ


पढ़िए लेखिका भावना सविता की एक और कहानी:

  • साथ: लेखिका भावना सविता द्वारा लिखी गयी यह कहानी एक अनूठी प्रेम कहानी है जो आप को सच्चे प्रेम पर फिर से विश्वास दिल देगी।

पढ़िए बचपन की याद करती कुछ कहानियाँ:

  • मेरा ठुमका अप्पा पर पड़ा भारी: यह कहानी लेखिका तुलसी पिल्लई ‘वृंदा’ के बचपन की है, जब एक बार उन्होंने अपने अप्पा को अपना डांस दिखाना चाहा पर अप्पा ने मना कर दिया। जानिए क्या हुआ आगे।
  • दाढ़ी बनाने की कला: लेखिका अप्पा को दाढ़ी बनाते हुए देखती हैं और फिर उनका भी मन करता है कि वो उनकी दाढ़ी बनाएँ। पर क्या वो उनकी दाढ़ी बना पाती हैं? जानने के लिए पढ़िए लेखिका तुलसी पिल्लई “वृंदा” की बचपन को याद करती यह कहानी “दाढ़ी बनाने की कला”।
  • पैसों का पेड़ (भाग-1):  यह कहानी पाँच भागों में लिखी गयी है और यह इस कहानी का पहला भाग है। इस कहानी में लेखिका अपने बचपन के दिनों का एक दिलचस्प क़िस्सा साझा कर रही हैं।

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PC: Shyam

 

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