संक्षिप्त परिचय: बेटी दिवस पर प्रकाशित प्रमिला ‘किरण’ की यह कविता एक माँ की दृष्टि से बेटी के लिए प्रेम और ममता पूर्ण भावनाओं का खूबसूरत चित्रण है।
कभी लड़ती झगड़ती है,
कभी डरती मेरी बेटी।
कभी खुद आंख दिखलाए,
के जैसे मां मेरी बेटी।
तेरे रूप में दुनिया की,
मैंने हर खुशी पा ली।
महकता है मेरा जीवन,
के संदल है मेरी बेटी।
जब वह मुस्कुराती है,
बहारें झूम उठती हैं।
जब वह खोले मुंह अपना,
तो कोयल कूक उठती है।
मेरी हर चुप को वो यूं
झट से ऐसे पकड़ लेती है।
पकड़कर नब्ज ढूंढे मर्ज़
मेरी संबल मेरी बेटी।
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Very nice poems