संक्षिप्त परिचय: यह कविता देवी शक्ति और आज की नारी शक्ति के अनेक रूपों का बहुत ही सुंदरता से वर्णन करती है। साथ ही आज के समाज को एक आईना भी दिखाती है।
विडंबना है या खेल है?
मंदिरों में निःसंतानों द्वारा माँगी जाती हूँ,
हैवानों द्वारा हवस का शिकार बनाकर
सरेआम सड़कों पर फेंकी जाती हूँ,
अपने ही लोगों द्वारा तरिस्कृत की जाती हूँ,
कभी समाज़ के दोगले चेहरे का
शिकार हो जाती हूँ,
वेदना से वंदना बनाकर
फिर मैं ही आदर सहित
‘नवरात्रों’ में पूजी जाती हूँ
आज भी नीच मानसिकता वाले घरों में
पुत्र प्राप्ति को महानता समझा जाता है,
औरत को सिर्फ़ पत्नी और माँ के रूप में ही
स्वीकार किया जाता है,
फिर अपनी रिद्दी-सिद्दी के लिए,
लक्ष्मी-सरस्वती-दुर्गा देवियों को पूजा जाता है
मैं बता दूँ तुम्हें
मैं नए युग की नारी हूँ,
विभिन्न रूपों में
तेरे आज और कल को सँवारती हूँ,
नवरात्रों में नौ रूपों में
मैं पूजी जाती हूँ,
मैं शैलपुत्री,बह्मचारिणी,चंद्रघंटा,आदिशक्ति,स्कन्दमाता,कात्यायनी,कालरात्रि,महागौरी,सिद्धिदात्री के रूप हूँ
मैं ना अबला
ना बेचारी हूँ
मैं तो इस युग की एक सशक्त नारी हूँ
देश-विदेश व आसमान तक
हर जगह
बस मैं ही मैं छाई हूँ
हर क्षेत्र में नाम कमाकर
मैं अपने अस्तित्व की लौह बनवाकर लाई हूँ
अपने ही रक्षक के रूप में
मैं काली चण्डी का रूप धारण करने में भी
नहीं कभी हिचकिचाई हूँ
अपने अधिकारों व स्वतन्त्र भावों को
अभिव्यक्त करने वाली
मैं झाँसी की रानी ‘ मणिकर्णिका’ कहलाई हूँ
जीवन भर तेरी अंतरात्मा की आवाज़ सुन सकूँ
मैं माँ के स्वरूप में आई हूँ
आजीवन तेरे दुःख बाँटती
मैं पत्नी के स्वरूप में शामिल हूँ
तेरे दुःख-सुख में साथ देने वाली
मैं एक बहन के स्वरूप में हूँ
हे-मनुष्य
मैं तो आजीवन तेरे साथ हूँ
विभिन्न रूपों का
मैं वरदान हूँ
नवरात्रों में पूजी जाने वाली महाशक्ति मैं
हर घर में विद्यामान हूँ।।
देवी शक्ति पर यह सुंदर कविता लिखी है आरती वत्स ने। उनके बारे में जानने के लिए पढ़े यहाँ:आरती वत्स
पढ़िए उनकी अन्य कविताएँ यहाँ:
- शिव शक्ति : आरती वत्स इस कविता में उस साथ की बात कर रही हैं जो कुछ लम्हों का ही था। वे उस राह की बात कर रही हैं जो आगे जा कर दो रास्तों में बँट जानी थी।
- अधूरी कहानी: आरती वत्स की यह कविता देवी शक्ति के बारे में है। इस कविता में वे देवी शक्ति के विभिन्न गुणों और विशेषताओं का सुंदरता से वर्णन करती है।
- मर्द: यह कविता आपको मिलाएगी एक आदर्श पुरुष से। आज के मर्द से।
- पत्रकारिता: पत्रकारिता के महत्व पर प्रकाश डालती कविता।
पढ़िए देवी शक्ति और नारी शक्ति पर अन्य कविताएँ:
- अब तो कुछ करना होगा: यह कविता ‘अब तो कुछ करना होगा’ नारी पर हो रहे अत्याचारों पर आवाज़ उठाती हुई, नारी को सशक्तिकरण की माँग करती हुई कविता है।
- हाँ मैं बदल गई हूँ: आज के समाज में जहां एक तरफ़ स्त्री को हर क्षेत्र में आगे बढ़ने की प्रेरणा दी जाती है वहीं समाज का एक हिस्सा उसे वांछित सम्मान दे पाने में भी असक्षम है। यह कविता एक स्त्री के हृदय की आवाज़ है उसी समाज के लिए।
- घटस्थापना का पावन दिन: कवि उपकार सारांश की यह कविता माँ दुर्गा पर है। यह कविता माता दुर्गा और उनके अनेक रूपों का गुणगान करती है।
- शिव शक्ति: आरती वत्स की यह कविता देवी शक्ति के बारे में है। इस कविता में वे देवी शक्ति के विभिन्न गुणों और विशेषताओं का सुंदरता से वर्णन करती है।
- खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी: यह कविता लिखी है सुभद्रा कुमारी चौहान ने। यह एक सुप्रसिद्ध कविता झाँसी की रानी लक्ष्मी बाई पर।
नारी पर ही कुछ कहानियाँ:
- भग्नावशेष: यह कहानी सुभद्रा कुमारी चौहान के कहानी संग्रह ‘बिखरे मोती’ की एक कहानी है। क्यों एक प्रतिभा से भरी युवती, दस साल बाद बस एक भग्नावशेष प्रतीत हुई लेखक को? जानने के लिए पढ़िए ये कहानी।
- बड़े घर की बेटी : आनंदी एक बड़े घर की बेटी है परंतु जहां उसका विवाह होता है वह घर उसके मायके जैसा नहीं होता। वह घर के हिसाब से अपने आप को ढाल लेती है बिना किसी शिकायत के पर एक दिन कुछ ऐसा हो जाता है कि वह सहन नहीं कर पाती। ऐसा क्या होता है और तब वह क्या करती है? जानने के लिए पढ़िए मुंशी प्रेमचंद की प्रसिद्ध कहानी ‘ बड़े घर की बेटी ‘।
- लिली: लिली एक लघु प्रेम कथा है उस समय पर आधारित जब अंतर्जातिय विवाह नहीं हुआ करते थे। खूब पढ़ लेने के बावजूद भी पद्मा के पिता की सोच जातिवाद तक ही सीमित रहती है । उनकी जातिवादी सोच और पद्मा की आधुनिक सोच उन दोनों से क्या करवाती है – जानने के लिए पढ़िए पूरी कहानी – लिली, जिसके लेखक हैं सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ जी ।
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