संक्षिप्त परिचय: कवि अंकुर ‘आनंद’ की कविता ‘तलाश’ एक हिन्दी कविता है जो पौराणिक काल की एक घटना को आज से जोड़ने की कोशिश करती है। कौनसी है वह घटना? जानने के लिए पढ़िए यह कविता:
बरसों- बरस भटके थे निर्वासित इंद्रदेव
ऋषि दधीचि की तलाश में ।
क्योंकि विष्णु ने कहा था –
ढूंढो कोई ऐसा तपस्वी
जो अद्वितीय हो
उनसे मांगना उन्हीं की अस्थियां
उन अस्थियों से करवाना वज्र निर्माण
उस वज्र से मारना वृत्रासुर को
और मुक्त करवाना अपनी मातृ-भू को
उद्धार करना स्वर्ग का , स्वदेश का ।
अंततः इंद्र सफल हुए।
सोचता हूं –
क्या आज भी कोई निर्वासित इंद्र भटक रहा है?
दधीचि को ढूंढ रहा है ?
लाहौर, झंग, मुल्तान और पेशावर की मुक्ति के लिए ?
अंकुर ‘आनंद’
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कवि अंकुर आनंद जी के बारे में जानने के लिए पढ़े यहाँ: अंकुर ‘आनंद‘
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Photo by Gabriel Tovar
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